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05 अगस्त 2010

छत्तीसगढ़ में लड़कियां क्यों नहीं बनना चाहतीं इंजीनियर?

छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या बहुत कम है। प्रदेश में कुल 47 निजी व तीन सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें लड़कों का प्रतिशत लड़कियों की तुलना में बहुत ज्यादा है। एनआईटी में चल रही एडमिशन प्रक्रिया में भी यही बात सामने आई है।

अभी तक यहां हुए कुल 818 एडमिशन में लड़कियांे की संख्या सिर्फ 125 हैं। इनमें से 86 लड़कियां छत्तीसगढ़ की और 39 दूसरे राज्यों की हैं। इसके अलावा प्रदेश में मौजूद अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी कमोबेश यही हाल है।

नहीं जाना चाहतीं बाहर

लड़कियों का कहना है कि राज्य से बाहर पढ़ाई करने में काफी रिस्क होता है। घर से दूर जाने से असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है। इस वजह से वे इंजीयिरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में जाना नहीं चाहतीं। एनआईटी से पासआउट प्राची चंद्राकर और मॉडेस्टा दोनों ही कंपनियों में प्लेसमेंट पा चुकी हैं। उनके अनुसार तकनीकी शिक्षा को लेकर अब भी लड़कियों के मन में यह विचारधारा बनी हुई है कि इंजीनियरिंग फील्ड लड़कों की है। यह लड़कियों के लिए बेहतर कॅरियर नहीं हो सकता।

मेंटलिटी भी वजह

समाज चाहे जितना ही मॉडर्न हो जाए, लेकिन आज भी लड़के-लड़की में भेदभाव हो रहा है। यह भी एक वजह है कि पैरेंट्स लड़कियों को तकनीकी शिक्षा से दूर ही रखना चाहते हैं। कॉलेजों की महंगी फीस और लोगों की संकीर्ण मानसिकता भी इसका अहम कारण है।

अभिभावक अजय शुक्ला और नोहर सिंह बताते हैं कि इंजीनियरिंग फील्ड में जॉब सिक्योरिटी कम होती है। प्लेसमेंट मिलना भी मुश्किल होता है। इसके माध्यम से सेलेक्शन हो भी जाए, तो कई बार कंपनी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने की वजह से जॉब छोड़नी पड़ती है(दैनिक भास्कर,रायपुर,4.8.2010)।

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