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07 अगस्त 2010

पुस्तकों की देखभाल

यह तो सभी जानते हैं कि पुस्तकों का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। अच्छी पुस्तकें न केवल ज्ञान का भंडार होती हैं, अपितु एक अच्छी दोस्त भी होती हैं, जिन्हें हम समय-समय पर दुकानों से ही नहीं वरन् पुस्तक प्रदशनियों से भी खरीदते हैं और पढ़ने के बाद उनके रख-रखाव की ओर ध्यान नहीं देते।

जो लोग ‘बुक-शेल्फ’ या ‘अल्मारी’ में रखते भी हैं तो उसका रख-रखाव एवं देखभाल ठीक ढंग से नहीं कर पाते। नतीजा, कुछ दिनों बाद किताबें या तो गल जाती हैं, चूहों द्वारा कुतर दी जाती हैं या फिर दीमकों द्वारा चट्ट कर दी जाती हैं। यदि हम घर में रखी पुस्तकों, पत्रिकाओं आदि को उचित ढंग से देखभाल करते रहें तो उन्हें आजीवन सुरक्षित रखा जा सकता है। विशेष कर बरसात के दिनों में जब जलवायु में नमी की मात्र बढ़ जाती है तो अधिक नमी आने के बाद किताबों में सीलन आ जाती है या फफूंदी लगने का डर रहता है।

किताबों को सबसे अधिक क्षति, दीमक, झींगुरों तथा उन जैसे अन्य कीड़ों की वजह से भी होती है जो वास्तव में पुस्तकों के घोर शत्रु होते हैं और चूहे तो पुस्तकों के दुश्मन होते ही हैं, तो पेश है पुस्तकों के संरक्षण के लिए
कुछ टिप्स :-

- अत्यधिक सीलन के मौसम में कपड़े की जिल्द वाली पुस्तकों तथा चमड़े की जिल्द वाली पुस्तकों को प्रतिदिन मुलायम कपड़े से पोछना चाहिए।
- फफूंद तथा मकड़ी आदि से रक्षा के लिये ‘शिर्लन पाउडर’ का पेस्ट ‘टेट्रा’ क्लोराइड में मिलाकर सीधे किताबों के कवर पर लगाया जाना चाहिए।
- बरसात में झींगुरों की संख्या बढ़ जाती है अत: इससे बचाव के लिए ‘क्लोरोडेन लिक्विड’ को मिट्टी के तेल के साथ मिलाकर पुस्तकों के निकट (पुस्तकों के ऊपर नहीं) छिड़कने से इसके विषकारी प्रभाव के कारण झींगुर नहीं आ पाते।
- सफेद कीट (सिल्वर फिश) से रक्षा के लिए ‘डी.डी.टी.’ को ‘मिट्टी’ के तेल में मिलाकर (घोल) छिड़कना चाहिए।
- दीमक से रक्षा के लिए पैराडाइक्लोरो बेनजीन पाउडर का इस्तेमाल करें, इसे किताबों पर न छिड़क कर उसके आस-पास छिड़कना चाहिए या कॉपर नेप्थनेट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- चूहों से रक्षा के लिए नेप्थलीन पाउडर पुस्तकों पर छिड़कना चाहिए(दुर्गा दत्त शर्मा,हिंदुस्तान,दिल्ली,4.8.2010)।

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