झारखंड में माध्यमिक शिक्षा का हाल बुरा है. विश्वास करें, राज्य में ऐसे माध्यमिक विद्यालय भी हैं, जो बिना शिक्षकों के चल रहे हैं. ऐसे विद्यालयों की तो भरमार है, जहां एक शिक्षक सैकड़ों विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं. शिक्षा विभाग माध्यमिक विद्यालयों में प्रत्येक 40 विद्यार्थी पर एक शिक्षक होने का दावा करता है, लेकिन विभागीय दावा सच्चाई से कोसों दूर है. सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो द्वारा सूचना का अधिकार के तहत माध्यमिक शिक्षा की हालत के बारे में मांगी गयी जानकारी सरकारी दावों की पोल खोलती है.
रामनगर उच्च विद्यालय उमेडंडा में नौ स्वीकृत पदों के विरुद्ध एक भी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गयी है. कई जिलों में 100 से अधिक छात्रों के लिए केवल एक ही शिक्षक पदस्थापित हैं. गिरिडीह जिले में तो 259 छात्रों पर केवल एक शिक्षक पदस्थापित हैं. पूर्वी सिंहभूम के 10 उत्क्रमित विद्यालयों में एक भी व्याख्याता शिक्षक नहीं है. यही हाल पटमदा के तीन उत्क्रमित विद्यालयों का भी है. हालांकि वहां 400 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.
विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार, माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना करने में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों की संख्या में बड़े अंतर का पता चलता है. रांची अनुमंडल के देहाती क्षेत्र के 27 विद्यालयों के कुल 300 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल 133 शिक्षक पदस्थापित हैं. बुंडू अनुमंडल के नौ विद्यालयों में 102 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल 30 शिक्षकों की पदस्थापना की गयी है. राहे और लांदुपडीह के उच्च विद्यालय में शिक्षकों के 10-10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन दोनों जगह केवल दो ही शिक्षक कार्यरत हैं.
तमाड़ में भी 12 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल तीन शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं(प्रभात खबर,रांची,7.8.2010).
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