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07 अगस्त 2010

राजस्थानःमुफ्त की किताबों में दो पैरे गायब

राज्य के सरकारी स्कूलों में 9वीं कक्षा की संस्कृत की पाठयपुस्तक 'शेमुषी प्रथमो भाग:' में दूसरे पाठ में दो पेरेग्राफ गायब हैं। इसके अलावा कुछ अन्य मुद्रण संबंधी त्रुटियां भी सामने आई है। सरकारी स्कूलों में यह पुस्तक नि:शुल्क बंटी थी।

पिछले दिनों जिले के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय बेदला, राजकीय माध्यमिक विद्यालय चिकलवास, राजकीय माध्यमिक विद्यालय कडोल में द्वितीय पाठ 'स्वर्णकाक:' पढाते हुए अध्यापकों को यह त्रुटि पकड में आई। उन्होंने निजी स्कूलों से पुस्तक मंगवाकर जांच की तब पता चला कि इस पाठ में कुल 15 पंक्तियां गायब हैं। परेशान अध्यापकों ने एक पुस्तक बाजार से या निजी स्कूल से मंगवाकर बच्चों को पाठ पूरा करवाया।

साढे पांच लाख प्रतियां

-इस साल सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क वितरण के लिए 5 लाख 45 हजार प्रतियां छापी गई हैं। बाजार में उपलब्ध पुस्तक में पन्ने भी ज्यादा हैं। नि:शुल्क पुस्तक 86 पृष्ठ की तो बाजार में उपलब्ध पुस्तक 90 पृष्ठ की है। बाजार में उपलब्ध पुस्तक की कीमत 12 रूपए है। दोनों पुस्तकों का प्रकाशक तो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड है। नि:शुल्क पुस्तकों का मुद्रक जयपुर की डीबी पिं्रट सोल्यूशन्स है।

कहते हैं शिक्षक

-पाठ पढाते समय अचानक अटक गए। तब अंदेशा हुआ कि पाठ में से कुछ अंश गायब है। निजी स्कूल से पुस्तक मंगवाकर देखी तो त्रुटि का पता चला।

-नीलमकंवर विषावत, संस्कृत अध्यापिका

-सिर्फ पंक्तियां ही गायब नहीं हैं, बारीकी से देखा जाए तो कहीं कहीं वाक्य विन्यास में भी त्रुटि है। अब शिक्षक अपने स्तर पर ही बच्चों को त्रुटि सुधार करा रहे हैं।

-भगवतीलाल चौबीसा, संस्कृत अध्यापक(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,7.8.2010)

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