रोज़ी-रोटी का मसला सुलझे,कविता-कहानियां भी तभी सुहाती हैं.........
(नवभारत,भोपाल,7.8.2010)(टिप्पणीःकृपया क्लिपिंग को पढ़ने के लिए डबल क्लिक करें)
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