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07 अगस्त 2010

राजस्थानःबायोटैक और माइक्रोबायोलॉजी के छात्र पढाएंगे बॉटनी और जूलोजी

राजस्थान यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की गुरुवार को हुई मीटिंग में काउंसिल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बायोटैक्नोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के नेट क्वालिफाइड छात्रों को बॉटनी और जूलोजी डिपार्टमेंट के व्याख्याता पदों के लिए योग्य मान लिया है।

पिछले कई वर्षो से इन विषयों के छात्र अपनी योग्यता के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह मुद्दा हाई कोर्ट में भी पहुंच चुका था जिस पर कोर्ट ने 2008 में बायोटैक्नोलॉजी और बॉटनी के सिलेबस को समान माना था और याचिकाकर्ता को लैक्चरर की पोस्ट के लिए अगले आदेशों तक प्रोविजनल अनुमति दी थी। काउंसिल की मीटिंग से पहले सिटी भास्कर ने 4 अगस्त को एक खबर प्रकाशित कर इस मुद्दे को उठाया था। बायोटैक्नोलॉजी का पीजी कोर्स राजस्थान यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट में 2001 से चलाया जा रहा है।

दिन भर चली मीटिंग के अंत में इस मुद्दे पर बात हुई और बायोटैक व माइक्रोबायोलॉजी के स्टूडेंट्स को बॉटनी और जूलोजी डिपार्टमेंट के व्याख्याता पदों के योग्य मान लिया गया। एमएससी बॉटनी और एमएससी जूलोजी का 80 प्रतिशत सिलेबस बायोटक्नोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी से मिलता है। अब बायोटैक्नोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के डिग्री होल्डर इन डिपार्टमेंट्स में आ सकेंगे, जिसका फायदा एमएससी इन बायोटैक और एमएससी इन माइक्रोबायोलॉजी में एडमिशन लेने वाले नए छात्रों को मिलेगा(दैनिक भास्कर,जयपुर,7.8.2010)।

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