प्रवेश नियमों की छोटी सी चूक का फायदा उठाकर मध्य प्रदेश के कालेजों में लगातार बढ़ रहे कश्मीरी छात्रों को रोकने की कवायद शुरू हो गई है। अगले साल से कश्मीरी विस्थापितों को तो महत्व मिल सकता है, लेकिन कश्मीर निवासियों को अन्य राज्यों के समान ही प्रवेश लेना होगा। कालेजों के लिए नए प्रवेश नियम बनाने आयुक्त उच्च शिक्षा राजीव रंजन की अध्यक्षता में बनी कमेटी की बैठक शुक्रवार को संचालनालय में आयोजित की गई। इस कमेटी में बरकतउल्ला विवि के रजिस्ट्रार डॉ. संजय तिवारी, जीवाजी विवि ग्वालियर के रजिस्ट्रार श्री मंसूरी तथा आरजीपीवी के रजिस्ट्रार डॉ. एकेएस भदौरिया शामिल हैं। करीब एक घंटा चली इस बैठक में प्रवेश नियमों पर अंतिम राय तो नहीं बन सकी, लेकिन सभी कुलसचिवों ने अपने सुझाव दिए। बीयू के रजिस्ट्रार ने इस समस्या के लिए प्रवेश नियमों में हुई चूक को जिम्मेदार बताया। उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने केवल कश्मीर विस्थापितों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है, लेकिन नियमों में कश्मीर और विस्थापित को अलग कर दिया गया है। इसी गफलत का फायदा उठाते हुए विस्थापितों की जगह कश्मीरी छात्रों को बड़ी संख्या में प्रवेश दिए जा रहे हैं। नए नियमों में दोनों शब्दों को जोड़ा जाए। जीवाजी व आरजीपीवी के रजिस्ट्रार ने सभी कालेजों में बाहरी छात्रों के लिए कोटा तय करने पर जोर दिया। अन्य राज्यों के कोटे में आवेदन करने वाले कश्मीरी छात्रों को भी मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाए(दैनिक जागरण,भोपाल,7.8.2010)।
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