नौनिहालों को अब संस्कृत की शिक्षा दी जाएगी। शासन ने संस्कृत की शिक्षा प्राइमरी स्कूल से शुरू करने का निर्णय लिया है। अभी छठवीं कक्षा से संस्कृत की पढ़ाई शुरू होती है। इसका पाठ्यक्रम तैयार करने राजधानी में कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें शहर की संस्कृत विदुषी डा. पुष्पा दीक्षित विशेषज्ञ के तौर पर शामिल हुई।
छत्तीसगढ़ जल्द ही देश का पहला राज्य होगा जहां संस्कृत की पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से शुरू होगी। इससे पहले छठवी कक्षा से संस्कृत की पढ़ाई शुरू होती थी। कक्षा पहली से शुरू होने वाली संस्कृत की पढ़ाई के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद द्वारा राजधानी रायपुर में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञ के रूप में शहर की संस्कृत विदुषी डा. पुष्पा दीक्षित भी शामिल हुईं।
उल्लेखनीय है कि संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम् की बैठक में प्राइमरी स्कूल से संस्कृत की शिक्षा दिए जाने के संबंध में निर्णय लिया गया था। इस संबंध में डा. दीक्षित ने बताया कि प्राइमरी स्कूल से संस्कृत की पढ़ाई शुरू करने से बच्चों को विश्व की सबसे प्राचीन भाषा का ज्ञान होगा।
इसके साथ ही वे संस्कृत ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्यों व परंपराओं को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम् द्वारा प्रदेश में संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की दिशा में कई उपाय किए जा रहे हैं। कार्यशाला का संयोजन राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद के बीपी तिवारी ने किया।
संस्कृति की रक्षा करेगी संस्कृत
कार्यशाला में शामिल डा. पुष्पा दीक्षित ने प्राइमरी स्कूल से संस्कृत की पढ़ाई के निर्णय पर कहा कि इससे बच्चों को संस्कृति का ज्ञान दिया जा सकेगा। संस्कृत ग्रंथों में निहित ज्ञान से बचपन से ही अच्छे संस्कारों की शिक्षा बच्चों को मिलेगी। बचपन से ही संस्कृत पढ़ाने से देश में तेजी से समाप्त हो रही संस्कृति की रक्षा की जा सकेगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,4.8.2010)।
बहुत अच्छा प्रयास है
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