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15 सितंबर 2010

हिमाचलःफर्ज़ी सर्टिफिकेट मामले में 115 और छात्रों पर मामला दर्ज

बिना पेपर दिए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सर्टिफिकेट बेचने के मामले में पुलिस ने शिक्षा बोर्ड प्रशासन की शिकायत पर जमा एक और जमा दो के 115 परीक्षार्थियों पर मामला दर्ज कर लिया है। इन सभी ने भी बिना पेपर दिए बोर्ड के सर्टिफिकेट खरीदे थे। बोर्ड की जांच में खुलासा हुआ है कि जमा एक और जमा दो कक्षाओं के ये 115 परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों पर अनुपस्थित थे।

इसके बावजूद उन्हें असली सर्टिफिकेट जारी किए गए। इस मामले में दिन-प्रतिदिन परीक्षार्थियों की बढ़ती संख्या को देखकर पुलिस ने मामले की जांच के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। यह टीमें बोर्ड मुख्यालय की विभिन्न शाखाओं से संबंधित रिकॉर्ड और परीक्षार्थियों की शिनाख्त करने में जुट गई हैं।

वहीं, पुलिस ने गिरफ्तार अश्वनी डोगरा और सुरेश चौधरी की शिनाख्त पर सोमवार देर रात नगरोटा बगवां स्थित अश्वनी डोगरा के रिश्तेदार के घर से आंसरशीट्स की डुप्लीकेट कॉपी तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले स्कैनर और अन्य उपकरण कब्जे में लिए। मंगलवार को पुलिस ने ढुगियारी के अन्य छात्र कपिल से पूछताछ की। कपिल ने अश्वनी को 5 हजार रुपए की राशि देकर दसवीं का सर्टिफिकेट खरीदा था।

इसमें उसके 481 अंक आए थे। कपिल ने मार्च 2010 में दसवीं की वार्षिक परीक्षा में त्यारा स्थित परीक्षा केंद्र से परीक्षा देने के लिए आवेदन किया था, लेकिन वह परीक्षा देने के लिए परीक्षा केंद्र में उपस्थित नहीं हुआ था। बोर्ड ने जब परिणाम घोषित किया तो कपिल ने 70 फीसदी अंक हासिल किए थे।

इस पर अन्य छात्रों के अभिभावकों ने बोर्ड प्रशासन से इस संबंध में शिकायत की थी। उधर, गिरफ्तार अश्वनी डोगरा को न्यायालय ने फिर से तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौल सिंह और प्रदेश युकां अध्यक्ष मनमोहन कटोच ने सीबीआई जांच की मांग की है।

कर्मचारियों की कार्यप्रणाली संदेह में

बोर्ड की विभिन्न ब्रांचों के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। मंगलवार को धर्मशाला थाना प्रभारी प्रताप ठाकुर ने धर्मशाला स्थित बोर्ड मुख्यालय जाकर विभिन्न ब्रांचों का रिकॉर्ड जांचकर कर्मियों से पूछताछ की। पुलिस जांच में सामने आया कि दसवीं के 63 परीक्षार्थियों जिन्हें सर्टिफिकेट बेचे गए, उनमें से 37 परीक्षार्थियों के परीक्षा फॉर्म बोर्ड की निर्धारित तारीख के बाद विशेष अनुमति पर बोर्ड कार्यालय में जमा करवाए गए थे।

इनमें से अधिकतर फॉर्म ऐसे थे, जिनमें कुछ में परीक्षार्थी के हस्ताक्षर नहीं थे जबकि कुछ फॉर्म सही ढंग से भरे नहीं गए थे। बिना पेपर दिए सर्टिफिकेट खरीदने वाले अधिकतर परीक्षार्थियों के परीक्षा फॉर्म सही ढंग से न भरने के बावजूद इन्हें रोल नंबर भी जारी हुए और यह बिना परीक्षा दिए पास हुए और इनका परिणाम भी घोषित हुआ जबकि फॉर्मो में मामूली त्रुटि होने पर बोर्ड परिणाम आरएलए घोषित करता है(दैनिक भास्कर,धर्मशाला,15.9.2010)।

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