सहारनपुर नगर निगम में पिछले डेढ़ दशक से आधा दर्जन लोग अवैध रूप से नौकरी कर रहे हैं। नियम विरुद्ध और ज्यादा उम्र के बावजूद नौकरी पाने वालों में दो लिपिक, एक वैद्य, एक हकीम, दो ड्राइवर और महिला समेत दो सफाई कर्मी है। कमिश्नर, डीएम और तत्कालीन विशेष सचिव के आदेश के बाद भी इन कर्मचारियों का बाल भी बांका नहीं हुआ। करीब डेढ़ दशक पहले तत्कालीन अपर नगर आयुक्त ने सुनील दत्त शर्मा,नीरज वर्मा को लिपिक, अरुण कुमार को वैद्य, रविंद्र को हकीम, शिवराज सिंह और रजनीश को ड्राइवर के पद पर नियुक्ति किया। श्रीमती विद्या पत्नी महेंद्र और सतीश को सफाई कर्मी पद पर नौकरी दी। शिकायत मिलने पर कमिश्नर ने जांच कराई तो आठों नियुक्तियां गलत मिलीं। अफसरों ने मृतक आश्रित की समयावधि समाप्त होने, अधिक आयु और भर्ती पर पाबंदी के बाद इन लोगों को नौकरी दी। इस पर विशेष सचिव ईश्वर विश्वनाथ ने कमिश्नर को दो सितंबर 2009 को पत्र भेजकर नीरज वर्मा की नियुक्ति की जांच का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, संबंधित व्यक्ति को जांच आख्या की प्रति उपलब्ध कराएं। कारण बताओ नोटिस देकर सुनवाई का वक्त दें और नियुक्ति निरस्त करें। इस पर तत्कालीन अधिशासी अधिकारी वीके श्रीवास्तव ने इस प्रकरण की फिर जांच की और आठों नियुक्तियों को गलत पाया। उन्होंने तत्कालीन अध्यक्ष को पत्र लिखकर अवगत कराया कि आठ में से छह के नियुक्ति अधिकारी आप हैं। इसलिए इन पर आपको कार्रवाई करनी है। जबकि दो कर्मियों पर मुझे निर्णय लेना है और मैंने दोनों सफाई कर्मियों को निकाल दिया है, लेकिन इस पर उन्होंने लेनदेन कर लीलापोती कर दी और उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। यही नहीं 2009 में निगम बनने के पहले तत्कालीन अधिशासी अधिकारी बीएम सिंह ने भी अपनी जांच में लिपिक सुनील दत्त शर्मा व नीरज वर्मा,वैद्य अरु ण कुमार ,हकीम रविंद्र नाथ तथा ड्राइवर शिवराज सिंह व रजनीश की नियुक्ति को गलत पाया था। उन्होंने भी इन सभी कर्मियों का वेतन रोकने और नोटिस देने की संस्तुति की थी, लेकिन तत्कालीन आयुक्त ने भी कोई कार्रवाई नहीं की और यह कर्मी निगम में आज भी नियम विरुद्ध नौकरी कर रहे हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण ,११.९.२०१०) ।
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