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19 सितंबर 2010

राजस्थानःभटक रहे हैं 3108 गांवों के विद्यार्थी

के 3108 गांवों के विद्यार्थी अपने स्कूल को छोड अन्यत्र पढने के लिए मजबूर हो रहे हैं। दरअसल, इन स्कूलों को क्रमोन्नत तो कर दिया गया लेकिन दो वर्ष बाद भी शिक्षक यहां नहीं पहुंचे। यह विद्यालय केंद्र और राज्य सरकार के बीच फुटबॉल बनकर रह गए हैं।

सक्सेस के रूप में शुरू हुए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) की उम्मीद में पूर्ववर्ती सरकार ने 14 अगस्त 2008 को राज्य के 3108 उच्च प्राथमिक विद्यालयों को एक साथ माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिया। तब इस उम्मीद में विद्यालय क्रमोन्नत हुए कि केंद्र सरकार से पद मिल जाएंगे लेकिन अब केन्द्र सरकार उन विद्यालयों में पद नहीं देना चाहती जो अभियान शुरू होने से पहले क्रमोन्नत हो गए थे। ऎसे में माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक तो लगा दिए गए लेकिन दो साल बाद भी विद्यार्थियों को विषय अध्यापक नहीं मिल पाए हैं।
रमसा के तहत राज्य सरकार ने केन्द्र को जो प्रस्ताव भेजे, उनमें पूर्व में क्रमोन्नत हुए इन स्कूलों के पद शामिल किए गए। केन्द्र ने यह कहकर प्रस्तावों को लौटा दिया कि योजना के शुरू होने से पहले क्रमोन्नत हुए स्कूलों में पद नहीं दिए जा सकते। इस बार बने प्रस्तावों में वर्ष 2009-10 में क्रमोन्नत हुई 1908 स्कूलों के साथ एक बार फिर पूर्व में क्रमोन्नत 3108 स्कूलों को शामिल किया गया है। इनके लिए केन्द्र से बजट मिलेगा तो दो साल पहले क्रमोन्नत हुई स्कूलों को पद भी मिल पाएंगे।

25 हजार शिक्षक चाहिए
दो साल पहले क्रमोन्नत होकर माध्यमिक बने विद्यालयों और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत ग्राम पंचायतों में क्रमोन्नत किए गए 1900 स्कूलों को कम से कम 25 हजार विषय अध्यापकों की जरूरत है। फिलहाल ये स्कूल प्रारम्भिक शिक्षा के पूल मद के तृतीय श्रेणी शिक्षकों के भरोसे ही चल रहे हैं।

फिर कोशिश करेंगे
'हालांकि केन्द्र पूर्व में 3108 स्कूलों में पद देने से मना कर चुका है, लेकिन इस बार फिर हमने प्रस्तावों में इन स्कूलों के पदों को भी शामिल किया है। हम केन्द्र को इसके लिए राजी करने की कोशिश करेंगे।'
भास्कर ए. सावंत, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं परियोजना निदेशक, माध्यमिक शिक्षा परिषद्(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,19.9.2010)

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