प्रशासनिक लापरवाही की वजह से राज्य के 390 गैर-राजकीय प्राथमिक व मध्य विद्यालयों का राजकीयकरण संबंधी मामला अधर में लटक गया है। राज्य सरकार के फैसले के बावजूद विभागीय स्तर पर अराजकीय प्राथमिक विद्यालयों संबंधी अधिसूचना जारी नहीं हुई। इससे संबंधित विद्यालयों की मान्यता संकट में पड़ गई है। इन विद्यालयों से जुड़े हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की उम्मीदों को झटका लगा है, बल्कि उनके परिवारों के समक्ष रोटी के लाले पड़ गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में गठित समितियों द्वारा स्थापना की स्वीकृति प्राप्त और अनुमोदित 500 अराजकीय प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों को राजकीयकृत करने का निर्णय लिया था। अपने संकल्प के आलोक में राज्य सरकार ने मानव संसाधन विकास विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिया, किंतु राज्य के 110 स्कूलों का राजकीयकरण करते हुए विभाग ने आवश्यक कार्रवाई करते हुए अधिसूचना भी जारी की। शेष 390 गैर-राजकीय विद्यालयों के बारे में भी मंत्रिमंडल स्तर पर निर्णय हो गया, परंतु इन विद्यालयों का राजकीयकरण करने संबंधी अधिसूचना विभागीय चूक की वजह से जारी नहीं हुई। इससे शिक्षकों और कर्मचारियों में नाराजगी व्याप्त है। शिक्षकों ने मंत्रिमंडल की बैठक में हुए फैसले की प्रतियां दिखाते हुए बताया कि राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे में गैर-राजकीय प्राथमिक विद्यालयों संबंधी मसला एक बार फिर अधर में लटक गया है। जन सुनवाई का आयोजन पटना: विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर बचपन बचाओ आन्दोलन द्वारा राष्ट्र भर में लगभग 125 जगहों पर पढ़ाई के लिए जन सुनवाई का आयोजन किया गया। इस क्रम में मंगलवार को वालन्टरी एसोसिएशन फार रिसर्च, ट्रेनिंग एंड एक्शन (वार्ता) बिहार के तत्ववधान में जनक दुलारी हास्पिटल के सामने पढ़ाई के लिए जन सुनवाई कार्यक्रम आहुत किया गया(दैनिक जागरण,पटना,8.9.2010)।
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