शिक्षा का अधिकार लागू होने से प्रदेश में डेढ़ लाख शिक्षकों की भर्ती तय है। 80 हजार शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा चुका है। लाखों बीएड डिग्री धारक इस विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण का मौका हथियाने के लिए लाइन में हैं। लेकिन, हजारों बीएड डिग्रीधारकों को नौकरी के लिए आवेदन का मौका नहीं मिलेगा। कारण? एनसीटीई ने शर्ते की ही कुछ ऐसी थोप रखी हैं कि बीएड डिग्री होते हुए भी ये अपात्रों की श्रेणी में हैं। कुछ बेरोजगारों ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री को शिकायतें भेजी हैं। कोर्ट जाने की भी तैयारी है। दीनदयाल संयुक्त चिकित्सालय में रहने वाली बीएड डिग्रीधारक पूजा चौहान भी पिछड़ने वालों में हैं। पूजा चौहान ने विसंगति को लेकर कई सवाल उठाए। कहा, जब बीएड में दाखिला लेने के लिए शासन ने स्नातक स्तर पर 45 फीसदी अंक तय किए हैं। फिर, नौकरी पाने के लिए बीए या बीएड में 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता क्यों है? क्या यह मान लिया जाए कि सरकार बेरोजगारों को पैदा करने के लिए ही बीएड कोर्स चला रही है? सवाल यह भी है कि जब नौकरी के लिए आवेदन तक नहीं कर सकते तो कोई बीएड करेगा ही क्यों? वे कहती हैं कि ये हक की लड़ाई है। जरूरत पड़ी तो कोर्ट भी जाऊंगी। पूजा अकेली नहीं हैं। कुछ बीएड बेरोजगार और भी हैं, जो लंबी लड़ाई की तैयारी में हैं। मान सरोवर निवासी सुनीता के बीएड में अंक तो तय मानकों के हिसाब से हैं, लेकिन स्नातक में 46 फीसदी ही रह गए। स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एनसीटीई ने 23 अगस्त को जारी अधिसूचना में प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति के दौरान बीएड डिग्रीधारकों को मौका देने का फैसला किया था। इस अधिसूचना की धारा-3 (क) के मुताबिक एक से पांचवीं क्लास के लिए शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान एक जनवरी 2012 तक वो बीएड डिग्रीधारक पात्र होंगे, जिन्होंने बीए/बीएससी और बीएड में 50 प्रतिशत अंक रखते हैं। ऐसे शिक्षकों को नियुक्ति के बाद प्रारंभिक शिक्षा शास्त्र में एनसीटीई से मान्यता प्राप्त छह महीने का विशेष प्रशिक्षण भी लेना होगा।(दैनिक जागरण,अलीगढ़,18.9.2010)।
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