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09 सितंबर 2010

रायपुर में बीएचएमएसःसाढ़े 5 साल का कोर्स सात साल बाद भी अधूरा

रायपुर शहर के रायपुर होमियोपैथी कॉलेज के छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। इनका साढ़े पांच साल का बीएचएमएस कोर्स सात साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। ऊपर से मुश्किल यह है कि दिसंबर 2008 के बाद जून 2009 और अप्रैल 2010 की दो बैचों से निकले छात्रों को अब तक सीसीएच (सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी) से मान्यता नहीं मिल पाई है।

पंजीयन नहीं मिलने से न तो वे आगे की पढ़ाई कर पा रहे हैं, न ही सरकारी जॉब के लिए एप्लाई कर पा रहे हैं। प्रेक्टिस की भी उनको अनुमति नहीं है। पढ़ाई पर करीब दो लाख रुपए खर्च करने के बाद भी बीएचएमएस के छात्र बेराजगार घूम रहे हैं। इधर नये छात्रों का एडमिशन जारी है। जनवरी 2011 में तीसरी बैच भी कंप्लीट होने जा रही है, इन छात्रों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। उनका कहना है कि हमारे सीनियरों का जब रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है तो हमारा क्या होगा।

छात्रों का कहना है कि कोर्स की मान्यता को लेकर कॉलेज प्रबंधन द्वारा उन्हें गुमराह किया जा रहा है। उन्हें कभी पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय तो कभी सीसीएच मुख्यालय दिल्ली जाने की सलाह दी जाती है। कॉलेज के छात्र सोमवार को रविवि के रजिस्ट्रार केके चंद्राकर से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने पूरा मामला कालेज प्रबंधन और सीसीएच पर डाल दिया। छात्र कॉलेज प्रबंधन से बात करने पहुंचे, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। छात्रों ने बताया कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें न्यायालय की शरण में जाने की सलाह दे दी।

पीएससी में साक्षात्कार से वंचित. दो साल पहले निकले होम्योपैथी डॉक्टरों को पीएससी में चयनित होने के बावजूद पंजीयन के अभाव में साक्षात्कार का मौका नहीं मिल पाया। अभ्यर्थियों में शामिल डॉ. कविता देवांगन, विजेंद्र रस्तोगी, निशा मौर्या ने बताया कि वह पीएससी की लिखित परीक्षा क्लीयर कर चुके थे, लेकिन पंजीयन न होने के कारण साक्षात्कार में मौका नही मिल पाया। इसके अलावा शासकीय एवं अशासकीय चिकित्सालयों में भी अपनी सेवाएं नही दे पा रहे हैं।

सीसीएच दिल्ली भी गए थे छात्र .कालेज के रवैये से नाराज छात्र रजिस्ट्रेशन की जानकारी लेने डा. अभिजीत जोग के साथ सीसीएच और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में भी गए। डॉ. जोग ने बताया कि वहां भी सही जवाब देने वाला कोई नहीं मिला। उन्होंने बताया कि कालेज से बीएचएमएस पूरा होने के पहले ही कॉलेज को सीसीएच को रिकमंडेशन भेजनी पड़ती है कि छात्रों ने सही तरीके से साढ़े पांच साल पढ़ाई कर विवि से परीक्षा पास कर ली है। उसने एक साल इंटर्नशिप भी कर ली है। अब इन छात्रों को स्थायी पंजीयन दिया जा सकता है। छात्रों का आरोप है कि कॉलेज ने समय पर रिपोर्ट नहीं भेजी।


हमारा क्या कसूर.? .कॉलेज के फाइनल ईयर के छात्र चंद्रशेखर तिवारी, रजत सोनी, अनामिका तिवारी, जागृति झा, प्रियंका गुरुपंचायन, दिव्या वर्मा और प्रियंका सिंह ने कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ उन्होंने बीएचएमएस कोर्स के लिए एडमिशन लिया था। साढ़े पांच साल का कोर्स साढ़े सात साल में पूरा नहीं हो पाया है, कोर्स पूरा करने के बाद भी पंजीयन के लिए भटकना पड़ रहा है। अब तो घर वाले भी पूछने लगे है कि तुम लोग डॉक्टर कब बनोगे? आखिर हमारा क्या कसूर है?


तीसरी बैच के छात्र भी परेशान.छात्रों का सवाल है कि सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी और आयुष भारत सरकार आखिर कॉलेज को सेकेंड शैडच्यूल में शामिल क्यों नहीं कर रहा है? एक बैच की बात हो तो समझ में आता है, लेकिन दो साल में दो बैच निकलने के बाद भी स्थिति साफ न हो पाना चिंताजनक है। जनवरी में पास होने वाली तीसरी बैच के छात्र भी परेशान हैं।

दिसंबर 2008 के बाद की दो बैच के छात्रों का सीसीएच के सेकेंड शेडच्यूल के अंतर्गत पंजीयन नहीं हो पा रहा है। इसके लिए कालेज प्रबंधन लगातार प्रयासरत है। पिछले सप्ताह मैं स्वयं वास्तविक स्थिति का पता लगाने सीसीएच और आयुष भारत सरकार के दिल्ली स्थित दफ्तर भी गया था। अधिकारियों से संपर्क कर प्रयास किये जा रहे हैं-डॉ. दिलीप मुकुंद पिंपले, प्राचार्य, रायपुर होम्योपैथी कॉलेज

विश्वविद्यालय का काम केवल सफल तरीके से परीक्षा कंडक्ट करवाना है। पंजीयन के लिए विवि प्रशासन ने दिसंबर 2008 के बाद 26 मई 2009 और 25 सितंबर 2009 को आयुष विभाग भारत सरकार और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद को पत्र लिखा है। छात्रों के अनुरोध पर आगे भी संपर्क किया जाएगा-डॉ. केके चंद्राकर, कुलसचिव, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय(मयंक ठाकुर,दैनिक भास्कर,रायपुर,9.9.2010)

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