चिकित्सा विभाग ने डॉक्टरों की 300 पदों पर निकाली भर्ती में पुरुषों के लिए 214 (71 प्रतिशत) पद आरक्षित कर दिए। विभाग की ओर से जारी विज्ञापन में विभिन्न श्रेणियों में पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग आरक्षण दिया गया है।
विधिवेत्ताओं का कहना है कि यह कानूनी तौर पर गलत है। इस बारे में चिकित्सा विभाग के निदेशक का कहना है पुरुष का मतलब सभी तबके के अभ्यर्थियों से है। इसमें महिलाओं को भी शामिल माना जाए। चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाओं को देखने वाले निदेशालय की ओर से जारी विज्ञापन के अनुसार अनुबंध पर एमबीबीएस डिग्रीधारी चिकित्सा अधिकारी और बीडीएस डिग्रीधारी दंत चिकित्साधिकारियों की भर्ती होनी है। दोनों ही वर्ग में 150-150 पद हैं।
यहां विभाग ने सामान्य, पिछड़ा, विशेष पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में महिलाओं के साथ ही पुरुषों के पद भी श्रेणीवार आरक्षित कर दिए हैं। इनके लिए आवेदन का अंतिम दिन शनिवार है। राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पवन सुराणा का कहना है कि राज्य सरकार ने जाने अनजाने में ही सही, इस तरह का विज्ञापन जारी कर महिलाओं के हक पर कुठाराघात किया है। विभाग को अपनी यह गलती तत्काल दुरुस्त करनी चाहिए। साथ ही इसके जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए।
पुरुषों के आरक्षण का किसी कानून में कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा करना गलत है। यदि इसी रूप में प्रवेश होते हैं तो ये नियुक्तियां पूरी तरह गैरकानूनी होंगी। महिला आरक्षण के बाद जो पद बचते हैं, उस पर सभी क्लेम कर सकते हैं।
केएस राठौड़, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट
अफसरों ने कहा : पुरुष का यानी . . .शेष अभ्यर्थी
भास्कर ने जब इस मामले में चिकित्सा निदेशक ओ.पी. गुप्ता से सवाल- किए तो उन्होंने माना, यह चूक तो है, लेकिन यहां पुरुष का मतलब शेष अभ्यर्थी ही निकाला जाना चाहिए। यानी इस वर्ग के पदों पर हर कोई आवेदन कर सकता है। जब उनसे पूछा गया कि इसका मतलब तो इसमें महिलाएं भी शामिल हैं तो वे बोले : इन सारी त्रुटियों के बारे में आप एडिशनल डायरेक्टर से पूछिए।
ऐसे आरक्षित किए पद
सामान्य : पुरुष- 108, महिला- 44
पिछड़ा वर्ग : पुरुष- 44, महिला- 18
विशेष पिछड़ा वर्ग : पुरुष- 02, महिला- 00
अजा : पुरुष- 34, महिला- 14
अजजा : पुरुष- 26, महिला- 10
(दैनिक भास्कर,जयपुर,10.9.2010)
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