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09 सितंबर 2010

ई-गवर्नेंस और हिंदी

इंटरनेट पर स्थानीय भाषाओं की उपलब्धता से सरकारों को भी जन सामान्य को बेहतर सेवाएं देने में आसानी हुई है। सरकारी दफ्तरों के कामकाज का तरीका धीरे-धीरे बदल रहा है और वे अपनी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में इंटरनेट का उपयोग करने में अधिक रुचि ले रहे हैं। इससे न सिर्फ समय और पैसा बच रहा है बल्कि भ्रष्टाचार पर भी कुछ हद तक लगाम लगाने में सफलता मिल रही है। हालांकि हमारे देश में ई-गवर्नेंस का क्रियान्वयन अपेक्षाकृत धीमी चाल चल रहा है लेकिन निकट भविष्य में इसके सुखद परिणाम सामने होंगे।

देश की लगभग हर राज्य सरकार ने स्थानीय भाषाओं में इस तरह की पहल शुरू की है। सरकार की हर प्रमुख योजना की जानकारी आज हिंदी में इंटरनेट पर उपलब्ध है। किसान और मजदूर नरेगा में मिले रोजगार और भुगतान का विवरण देख सकते हैं, मौसम और बीजों के बारे में विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं, खसरे-पट्टे की नकल निःशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। विद्यार्थी अपने मनपसंद कॉलेजों में एडमिशन लेने, प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भरने और परिणाम देखने, नौकरी के लिए आवेदन करने और आय-जाति के प्रमाणपत्र बनवाने जैसे काम कर सकते हैं। अन्य नागरिक बिजली, पानी, फोन, बीमा आदि के लिए भुगतान करने, आयकर भरने, बैंक का लेन-देन करने से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जैसे काम आजकल इंटरनेट के माध्यम से कर सकते हैं। जैसे-जैसे सरकारें इस दिशा में सोच रही हैं, वैसे-वैसे नागरिकों को ई-गवर्नेंस के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएं भी बढ़ती जा रही हैं। निकट भविष्य में पुलिस, अदालत, संपत्ति की रजिस्ट्री जैसे काम भी घर बैठे होने लगेंगे। लोगों को यूनिक आइडेंटिफिकेशन कार्ड मिलने के बाद इसमें और क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे और हो सकता है कि आप इसका उपयोग करके घर बैठे ही मतदान भी कर सकें। ई-गवर्नेंस से सरकार के कामकाज के तरीके में भी पारदर्शिता आई है। लोगों को न सिर्फ बिचौलियों और बाबुओं के चक्कर लगाने से छुटकारा मिला है, बल्कि उन्हें घर से ही वे सुविधाएं मिल रही हैं जिनके लिए उन्हें आमतौर पर तहसील या जिला मुख्यालय तक जाना पड़ता है। साथ ही संबंधित विभाग के आला अधिकारियों तक ई-मेल से सीधी पहुंच के कारण वे किसी भी भ्रष्टाचार की शिकायत भी अपनी भाषा में कर सकते हैं। जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता और इंटरनेट की पहुंच बढ़ेगी, हमें ई-गवर्नेंस के बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे(जितेन्द्र जायसवाल,नई दुनिया,दिल्ली,7.9.2010)

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