रोज़ी-रोटी का मसला सुलझे,कविता-कहानियां भी तभी सुहाती हैं.........
टिप्पणीःकृपया रिपोर्ट को क्लिक कर पढ़ें।(हिंदुस्तान,दिल्ली,16.9.2010 में यथाप्रकाशित)
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