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10 सितंबर 2010

मध्यप्रदेशःमॉरिशस जा सकेंगें प्रोफेसर

उच्च शिक्षा विभाग ने इसी माह मॉरिशस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के इच्छुक प्रोफेसरों को संबंधित कॉलेजों के प्राचार्यो के माध्यम से अनुमति देने का फैसला किया है। इससे पहले, उच्च शिक्षा विभाग कुछ प्रोफेसरों को इस आधार पर अनापत्ति (एनओसी) जारी करने में आनाकानी कर रहा था कि पहले वह आयोजक संस्थान की प्रमाणिकता की पुष्टि करेगा।

इस संबंध में दैनिक भास्कर द्वारा 5 सितंबर को प्रकाशित खबर के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है। ‘इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ एनवॉयरनमेंटल रिसर्च-2010’ (आईसीईआर-10) नामक यह सेमिनार 16 से 18 सितंबर तक मॉरिशस में होने जा रहा है।

पर्यावरण की थीम पर होने वाले इस सेमिनार में प्रदेश के 27 प्रोफेसरों ने अनुमति के लिए आवेदन दिया था। उच्च शिक्षा आयुक्त राजीव रंजन के हस्ताक्षर से तमाम शासकीय कॉलेजों के प्राचार्यो को एक पत्र जारी किया गया है। इसके अनुसार सेमिनार में भाग लेने के इच्छुक शिक्षकों को अनुमति देने के लिए प्राचार्यो को अधिकृत कर दिया गया है।

गौरतलब है कि आईसीईआर-10 के आयोजन सचिव आरटी रामेशुर ने स्वयं मॉरिशस से आयुक्त उच्च शिक्षा को एक ई-मेल भेजकर एनओसी जारी करने का आग्रह किया था।

एक कॉलेज से अधिकतम दो

पत्र के अनुसार प्राचार्य प्रति कॉलेज अधिकतम दो शिक्षकों को ही सेमिनार में भाग लेने की अनुमति दे सकते हैं। सेमिनार के डायरेक्टर सुभाष सी. पांडे के अनुसार इससे प्रदेश के अन्य प्रोफेसरों की दिक्कतें तो दूर हो गई हैं,लेकिन राजधानी के दो कॉलेजों नूतन कॉलेज और एक्सीलेंस कॉलेज के सामने समस्या खड़ी हो गई है।

नूतन कॉलेज से छह और एक्सीलेंस कॉलेज से चार शिक्षकों ने आवेदन किया है, लेकिन अनुमति दो-दो को ही मिल पाएगी। इससे न केवल शिक्षकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, बल्कि इस टूर प्रोग्राम के लिए अधिकृत टूर एंड ट्रेवेल्स को भी वित्तीय हानि झेलनी पड़ेगी। मैक माय ट्रिप के संचालक मॉज फारूकी ने ‘भास्कर’को बताया कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते उन्होंने प्रोफेसरों को टिकट के लिए दो किस्तों में भुगतान देने सुविधा दी थी,लेकिन उन्हें तो टिकट का पूरा भुगतान करना पड़ा।

अब जिन प्रोफेसरों के आवेदन निरस्त होंगे, वे दूसरी किस्त का भुगतान शायद ही करेंगे। इससे उन्हें कम से कम तीन लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है(दैनिक भास्कर,भोपाल,10.9.2010)।

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