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05 सितंबर 2010

बिहारःआठ हजार टीचर बिना पगार के

आज शिक्षक दिवस है । वैसे,इसका जश्न मास्साब और मिस अपने स्टूडेंट्स के साथ शुक्रवार से ही मना रहे हैं । रविवार को तो इसको सेलिब्रेट करने का मौका के वल ट्यूशन वाले ‘सरों’ को मिलेगा। ‘गुरु ’ और ‘शिष्य’ के बीच के इस ‘पर्व’ में धीरे -धीरे अब ‘सम्मान’ का स्वरूप भी बदल रहा है । वजह भी साफ है । राज्य के शिक्षकों के बीच वर्गीकरण। ये वेतनमान वाले शिक्षक हैं यानी कि बड़े मास्साब हैं और ये नियोजन वाले अर्थात कुछ हजार पाने वाले। सूबे में आठ हजार सेकेंड्री और हायर सेंकेंड्री में नियोजित शिक्षक हैं जिन्हें दिसम्बर 2009 से ही वेतन नहीं मिला है । सरकारी स्कूल के बच्चे भी इन दोनों के कदों के अंतर को खूब समझते हैं । लिहाजा सम्मान का डिग्री भी बदल जाता है । दूसरी तरफ निजी स्कू लों में तो वर्गीकरण का पहला आधार स्कूलों का आकार शुरू से रहा है । ऊपर से हिन्दी मीडियम और इंगलिश मीडियम इस खाई को और चौड़ा करता है । निजी स्कूलों ने शुक्रवार को ही शिक्षक दिवस समारोह मना लिया। हाल के वर्षों में यहां ट्रेंड बदल गया है । इस बार भी कई नामचीन और बड़े स्कूलों में खुद क्लास टीचर ने बच्चों को कहा था कि 3 सितम्बर को गिफ्ट लेकर आना। के वल क्लास टीचर के लिए नहीं, हिन्दी मिस, मैथ मिस, ड्राइंग मिस, ड्रील मिस और डांस मिस के लिए भी लाना। और हां, क्लास नहीं होगी। खाने-पीने का सामान लाना और तुमलोग पिक निक मनाना। क्लास वन के बच्चे भी अपने बस्ते को गिफ्ट से भरकर ले जाते देखे गए। आखिर शिक्षक दिवस समारोह जो उन्हें मनाना था। उधर सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए कोई खास मायने नहीं रखता यह दिवस। राज्य में सवा दो लाख शिक्षक अब नियोजन वाले हैं। असल दिक्कत तो उन आठ हजार सेकेंड्री और हायर सेंकेंड्री में नियोजित शिक्षकों को है जिन्हें दिसम्बर 2009 से ही वेतन नहीं मिला है। इन्हें तो सिर मुड़ाते ही ओले पड़े हैं । ज्वॉयन कर लिया, काम करते रहे और पगार का इंतजार भी। राज्य सरकार का मानव संसाधन विकास विभाग इनके प्रमाणपत्रों की जांच में जुटा है । एक-एक की जांच हो जाएगी तभी वेतन मिलना शुरू होगा। हालांकि पिछले दिनों डीईओ की बैठक में यह आदेश दिया गया है कि जिनकी जांच हो गयी हो उन्हें वेतन जारी क र दिया जाय। पर इस आदेश पर अमल में तो एक -आध महीने तो और लग ही जाएंगे। इस साल का शिक्षक दिवस तो इन 8 हजार शिक्षकों को भूखे पेट ही मनाना होगा(आशीष कुमार मिश्र,हिंदुस्तान,पटना,5.9.2010)।

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