कई वर्षों से रोडवेज में संविदा पर काम करने वाले श्रमिक कुछ महीने पहले करार करने वाली संस्था के अधीन हो गए। संस्था ने सालों से दैनिक वेतन के हिसाब से मिलने वाले भुगतान में फेरबदल कर दिया, विरोध हुआ तो दो कर्मचारियों की शनिवार को छुट्टी कर दी गई। यह सब हुआ गोमतीनगर स्थित रोडवेज कार्यशाला में। गोमतीनगर स्थित रोडवेज कार्यशाला में कर्मचारियों से लेकर बसों के रखरखाव व मार्ग में खराब वाहनों को दुरुस्त करने के लिए एक संस्था के साथ करार किया गया है। करीब तीस लाख रुपये का भुगतान हर महीने संस्था को रहा है। खास बात ये है कि कुछ महीने पहले हुए इस करार में कार्यशाला में पहले कार्यरत कर्मचारियों को संस्था ने अपना मुलाजिम बना लिया। संस्था द्वारा अब कर्मचारियों के वेतन भुगतान में बदलाव किया जा रहा है। कर्मचारियों के मुताबिक अमूमन श्रमिक को 150 रुपये प्रतिदिन और मिस्त्री को 250 रुपये प्रतिदिन भुगतान मिलता था। इसके अलावा चार दिन विश्राम मिलता था। संस्था कर्मचारियों पर कार्य आधारित वेतन का दबाव बना रही थी जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे थे। इसी के चलते शनिवार सुबह कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। कर्मचारियों के रोष को देखते हुए कार्यशाला पर पुलिस को बुला ली गई। पुलिस के हस्तक्षेप पर कर्मचारियों को वापस लाया गया जबकि दो कर्मचारियों बसंत लाल और दिल प्रीत की सेवा समाप्त कर दी गई। महानगर सेवा के क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव चौहान ने बताया कि जिन कर्मचारियों को हटाया गया, वह संविदा पर थे। इसके अलावा उनसे काम दूसरी संस्था ले रही थी(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.9.2010)।
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