पंजाब के विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान सबोर्डिनेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड में टीचरों की भर्ती घोटाले की जांच रोक दी है। सूत्रों के अनुसार जांच को रोकने का मुख्य कारण राजनीतिक दबाव माना जा रहा है, क्योंकि इसमें जिन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था व जिन पर शक की सुई घूम रही थी, उनके संबंध बड़े राजनेताओं से बताए जा रहे हैं। इसी कारण विजिलेंस की जांच में बाधा उत्पन्न हो गई है।
अयोग्य टीचरों को लगाने का था आरोप
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान टीचरों की भर्ती का जिम्मा सबोर्डिनेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड को सौंपा गया था। उसके बाद टीचरों की भर्ती की गई, लेकिन इसमें उन टीचरों की भी सिलेक्शन करने का आरोप लगने लगा, जो योग्यता पूरी नहीं करते थे। हालांकि इस बारे में आरोप चयन के दौरान ही लगने लगा था, लेकिन इस बात का खुलासा मौजूदा अकाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद हुआ।
जांच के दौरान इस मामले में कई अनियमितताएं पाई गईं। सूत्रों के अनुसार उसके बाद एक पीसीएस अधिकारी समेत एसएस बोर्ड के करीब आधा दर्जन कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और इसमें उस एजेंसी के मालिक का नाम भी आरोपियों में दर्ज किया गया, जिसने ली गई परीक्षा की जांच पड़ताल की थी।
कांग्रेस ने साधी थी चुप्पी
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय में भी शिकायतें आती रही थीं, लेकिन इस बारे में किसी को जांच के आदेश नहीं दिए गए। यहां तक कि उस समय के डायरेक्टर विजिलेंस को भी उन उम्मीदवारों ने शिकायत की थी, लेकिन जांच शुरू नहीं की गई। उम्मीदवारों ने शिकायत के साथ अपने हलफिया बयान भी लगा रखे थे(सुखबीर सिंह बाजवा,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,19.9.2010)।
पंजाब मे नियमित है भी क्या सब से अधिक क्रप्शन शायद पंजाब मे ही है। चिन्तनीय स्थिती है आम नागरिक के लिये। धन्यवाद।
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