राजकीय आयुर्वेद कालेज को स्नातकोत्तर की पढ़ाई की अनुमति न मिलने से नाराज छात्रों ने गुरुवार को कालेज में हंगामा किया। छात्रों ने प्राचार्या डा. इन्दु मिश्रा, अधीक्षक डा. देवानंद प्रसाद सिंह समेत कई शिक्षकों को बंधक बना जमकर नारेबाजी की। प्राचार्या डा. मिश्रा ने स्नातकोत्तर पढ़ाई को लेकर दोबारा प्रयास करने का आश्वासन देने के बाद छात्र शांत हुए। कालेज को करीब ग्यारह सालों के बाद दो साल पहले द्रव्य गुण एवं रस शास्त्र में स्नातकोत्तर पढ़ाई की अनुमति मिली थी। सूबे के पांच सरकारी आयुर्वेद कालेजों में से यहीं एकमात्र कालेज था जहां आयुर्वेद में एमडी करने की व्यवस्था थी। केन्द्रीय चिकित्सा शिक्षा परिषद द्वारा कालेज को लगातार आधारभूत संरचनाओं की कमियों को दूर करने को कहा जा रहा था। परिषद ने अस्पताल के इंडोर में बेडों के अनुपात में मरीजों की संख्या के कारण इस साल स्नातकोत्तर में नामांकन लेने पर रोक लगा दी। उच्चतम शिक्षा की संभावना खत्म होने से आज छात्र आक्रोशित हो गये। उन्होंने कालेज में हंगामा किया और प्राचार्या एवं अधीक्षक समेत कई शिक्षकों को बंधक बना लिया। उनका कहना था कि सरकार और शिक्षक- चिकित्सकों की लापरवाही का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। अगर परिषद की मापदंड को पूरा कर लिया जाता तो आज यह नौबत ही नहीं आती। प्राचार्या और अधीक्षक द्वारा स्नातकोत्तर के लिए दोबारा प्रयास करने के आश्वासन के बाद छात्र शांत हुए। अधीक्षक डा. देवानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि निरीक्षण के समय में इंडोर में पचास फीसदी मरीज भर्ती नहीं थे लेकिन अब स्थिति बदल गयी है अभी सत्तर फीसदी से अधिक मरीज हैं। ऐसे में परिषद को निरीक्षण कर स्नातकोत्तर पढ़ाई की अनुमति पर विचार करना चाहिए(दैनिक जागरण,पटना,10.9.2010)।
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