प्रवेश के लिए पात्रता एमबीए तथा पीजीडीबीएम के लिए किसी भी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक। बीबीए तथा डीबीएम के लिए 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए। प्रवेश प्रक्रिया एमबीए व पीजीडीबीएम में प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा देनी होती है तथा अन्य पाठय़क्रमों में सीधे प्रवेश दिया जाता है। पहले हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने पर उच्च वेतनमान पर नौकरी पाना बहुत आसान नहीं था, खासकर प्रबंधन व आईटी क्षेत्रों में। गरीब विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा न प्राप्त कर पाने के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मोटी तनख्वाह पर रोजगार पाने में असमर्थ हो जाते थे, लेकिन अब हिंदी के बूते मैनेजमेंट के क्षेत्र में भी अपना लक्ष्य पूरा कर सकेंगे, क्योंकि हिंदी भाषा को ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रूप में समृद्घ करने तथा रोजगारोन्मुख बनाने के उद्देश्य से स्थापित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), वर्धा ने पहली बार दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से मैनेजमेंट के क्षेत्र में मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (एमबीए), बैचलर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (बीबीए), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट (पीजीडीबीएम), डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट (डीबीएम) की पढ़ाई शुरू की है। प्रबंधन पाठय़क्रमों के संयोजक डॉ. एमएम मंगोड़ी ने बताया कि गत वर्ष तकरीबन 300 विद्यार्थियों ने हिंदी माध्यम से प्रबंधन पाठय़क्रमों में दाखिला लिया था। पिछले सत्र की सफलता को देखते हुए इस वर्ष भी विश्वविद्यालय ने देशभर से इन पाठय़क्रमों में प्रवेश देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए और करीब 700 विद्यार्थियों ने इन पाठय़क्रमों के लिए आवेदन भेजे हैं। एमबीए के परीक्षार्थियों ने स्वीकार किया कि जिस प्रश्न का उत्तर अंग्रेजी में हमें चार पृष्ठों में लिखना मुश्किल लगता था, उसी प्रश्न का उत्तर सात-आठ पृष्ठों में लिखना सहज लगा। विश्वविद्यालय के परामर्शदाता एवं प्रबंधन विषयों के विशेषज्ञ डॉ एस कुमार कहते हैं कि यहां विद्यार्थियों को प्रबंधन के सिद्घांत के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान से भी रूबरू कराया जाएगा, ताकि प्रबंधन पाठय़क्रमों में विद्यार्थियों में दक्षता एवं विश्वास एक साथ पैदा हो सके। विपणन प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, उत्पादन एवं परिचालन प्रबंधन, व्यावसायिक वातावरण, व्यावसायिक नीतियां एवं रणनीतिक प्रबंधन, प्रबंधन सूचना प्रणाली एवं संगणक अनुप्रयोग, व्यावसायिक नियामक प्रारूप तथा वैकल्पिक के रूप में विपणन, मानव संसाधन प्रबंधन, बैकिंग एवं बीमा, वित्तीय प्रबंधन आदि विषयों को एमबीए पाठय़क्रमों में शामिल किया गया है। उन्होंने आशा जतायी कि यहां से पढ़ाई करने वालों को निश्चित रूप से उच्च वेतनमान पर नौकरी मिल सकेगी। देशभर में लगभग 50 अध्ययन केंद्रों के माध्यम से प्रबंधन की पढ़ाई करायी जा रही है। विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं अध्ययन केंद्रों में विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई की सुविधा के साथ-साथ पुस्तकालय, इंटरनेट युक्त संगणक केंद्र आदि की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए उनके जनपद के समाज कल्याण अधिकारियों से छात्रवृत्ति प्राप्त करने का अवसर भी है। विश्वविद्यालय व पाठय़क्रमों की विस्तृत जानकारी के लिए विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.hindivishwa.org पर लॉगइन किया जा सकता है। साथ ही संयोजक, एमबीए व बीबीए पाठय़क्रम, दूरस्थ शिक्षा केंद्र, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, पोस्ट-मानस मंदिर, गांधी हिल्स, वर्धा-442001 (महाराष्ट्र) व दूरभाष 07152-232957, 242814 पर भी संपर्क किया जा सकता है। तुरंत रोजगार मिलेगा इससे पहले प्रबंधन जैसे व्यावसायिक पाठय़क्रमों को हिंदी में चलाया जाना एक मिथक के रूप में लिया जाता था, लेकिन इस विश्वविद्यालय ने जोखिम उठा कर यह साबित कर दिखाया कि प्रबंधन पाठय़क्रम हिंदी माध्यम से भी चलाए जा सकते हैं। हिंदी विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद को हिंदी के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचाना चाहती हैं। हिंदी माध्यम से एमबीए करने पर तुरंत ही रोजगार मिलेगा, क्योंकि हिंदी अधिकांश उपभोक्ताओं की भाषा है। यहां से एमबीए करने वाले किसी भी कंपनी में बेहतर ढंग से काम कर सकेंगे। (अमित कुमार विश्वास,हिंदुस्तान,दिल्ली,14.9.2010)
विभूति नारायण राय, कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा
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14 सितंबर 2010
हिंदी माध्यम से एमबीए कीजिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से
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