ऐसा लगता है कि परिवहन विभाग में कोई भी कार्य नियम प्रकिया से नही होता। सारा कार्य अधिकारियों और नेताओं की मर्जी से होता है। इससे विभाग के अधिकारियों में काफी आक्रोश है, जिससे कभी भी स्थिति खतरनाक हो सकती है। जानकारी के अनुसार विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों में सबसे अधिक रोष इस बात को लेकर है कि सबसे अधिक आय देने वाले नाके में दो निरीक्षकों को ही क्यों छह-छह माह के अंतराल में भेजा जाता है। इससे तो यही लगता है कि विभाग के बाकी सब निरीक्षक सरकार की उम्मीद के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं। हम बात कर रहें हैं बडवानी जिले के सेंधवा नाके की। प्रदेश का एक मात्र ऐसा नाका है, जहां इलेक्ट्रानिक तौल कांटा लगा हुआ है। यहां पिछले तीन साल से केवल एम के मीणा तथा जितेन्द्र सिंह रघुवंशी को पदस्थ किया जा रहा है। श्री मीणा व श्री रघुवंशी इसी कारण लंबे समय से आफिस में पदस्थ नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि दोनो निरीक्षक अधिकारियों और कुछ नेताओं के खास हैं, उन्हें यह मालूम है कि इलेक्ट्रानिक तौल कांटे को बंद करके अथवा वीआईपी रास्ते से किस तरह से ओव्हर लोड़ वाहन निकालना है। जिससे सभी को हर माह उनका हिस्सा मिलता रहे। परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा तथा परिवहन आयुक्त एस एस लाल नियम कानून से कार्य करने की बात करते हैं तो फिर दो परिवहन निरीक्षकों पर क्यों मेहरबान है। सूत्रों का कहना है कि सेंधवा नाके से बिजली गोलकर क्षमता से अधिक व ओव्हरहाइट के वाहनों को निकाला जाता है। इससे प्रतिमाह सरकार की आय का एक बड़ा हिस्सा अधिकारियों और नेताओं की जेब में जा रहा है। उधर परिवहन विभाग में नियम विरूद्ध प्रतिनियुक्ति पर एक दर्जन से अधिक आरक्षक व प्रधान आरक्षक पदस्थ है। नियमानुसार पदोन्नति के बाद प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ पुलिस कर्मियों को उनके मूल विभाग को वापस कर देना चाहिए। लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से ऐसा नहीं हो रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रधान आरक्षक से एएसआई के पद पर पदोन्नत होने बाद भी दिनेश राजपूत, मुकेश और नरेन्द्र जादौन प्रतिनियुक्ति पर परिवहन विभाग में कार्य कर रहे हैं। इसी तरह आरक्षक रामप्रकाश पांडे, रिपुदमन सिंह, प्रकाश विश्वकर्मा, नरेश सिंह भदौरिया, सुधाकर शर्मा व संजय मिश्रा पदोन्नत होकर प्रधान आरक्षक बन चुके हैं। भाजपा विधायक बली सिंह मरावी ने परिवहन मंत्री जगदीश देवडा तथा गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता को पत्र लिखकर नियम विरूद्ध परिवहन विभाग में पदस्थ कर्मचारियों को तत्काल मूल विभाग में वापस करने का अनुरोध किया है। सूत्रों का कहना है कि विधायक के पत्र को गंभीरता से लेते हुए दोनो मंत्रियों ने विभागों से जानकारी मांगी है।
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