माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के पद खाली पड़े हैं। कारण, प्रधानाध्यापक पद पर शिक्षकों की प्रोन्नति लंबे अरसे से वरीयता सूची में फंसी है। फिलहाल ऐसे विद्यालय प्रभारियों के हवाले हैं। मामला पटना जिले से संबंधित है, किंतु वरीयता सूची की तैयार संचिका क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक कार्यालय में धूल चाट रही है। मामले में उच्च माध्यमिक प्रभाग भवन (इंटर काउंसिल) के चौथी मंजिल पर संबंधित कार्यालय में रिकार्ड की छानबीन की गयी तो संबंधित बाबू भी तर्क देने से बचते रहे। जिले में 168 राजकीयकृत माध्यमिक विद्यालय और 21 राजकीय माध्यमिक विद्यालय हैं, जिन्हें हाल के वर्षो में राज्य सरकार द्वारा प्लस-टू में उत्क्रमित किया गया है। जिला शिक्षा कार्यालय के मुताबिक, दो दर्जन से अधिक प्लस टू स्कूलों को प्रभारी प्राचार्य संचालित कर रहे हैं। वहीं वरीय शिक्षक प्रोन्नति की बाट जोह रहे हैं। जिले के छह ट्रेनिंग स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है, जिन्हें वरीय शिक्षकों से भरा जा सकता है। दरअसल तत्कालीन क्षेत्रीय उपशिक्षा निदेशक दशरथ राम ने साल भर पहले प्रमंडल स्तर पर शिक्षकों की वरीयता सूची तैयार की थी। इस बीच आरडीडीई दशरथ राम का तबादला सचिवालय में विशेष निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) पद पर हो गया। वर्तमान क्षेत्रीय उपशिक्षा निदेशक मेदो दास से शिक्षकों की प्रोन्नति मामले की जानकारी के लिए संपर्क किया गया तो वे दफ्तर में नहीं मिले(दैनिक जागरण,पटना,3.9.2010)।
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