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15 सितंबर 2010

झारखंडःअपने रिस्क पर परीक्षा दें मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी

झारखंड के मेडिकल कॉलेजों के 32 एसटी विद्यार्थियों के नामांकन पर केंद्र ने राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है. राजभवन व स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा है. पूछा है कि 40 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करनेवाले इन विद्यार्थियों के नामांकन कैसे हुए. इसके लिए कौन जिम्मेदार है.

केंद्र ने इसकी जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा है. केंद्र ने कहा है कि इन विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति राज्य सरकार ने भले ही दे दी हो, पर ये खुद की जिम्मेदारी (रिस्क) पर ही परीक्षा दें. एमसीआइ की गाइड लाइन को केंद्र सरकार भी नियम विरुद्ध नहीं मानती. इसे बदलने के लिए संविधान में संशोधन की जरत होगी. केंद्र के इस पत्र के बाद इन 32 विद्यार्थियों के पंजीयन का मामला लटक सकता है.

मेडिकल कॉलेजों को दी जानकारी : राज्यपाल के प्रधान सचिव सुधीर त्रिपाठी ने राज्य के तीनों विवि के प्रशासन को केंद्र के इस पत्र की जानकारी दी है. स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ डीके तिवारी ने भी तीनों मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को पत्र लिख दिया है. इधर, विश्वविद्यालय रिम्स के 13 एसटी विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने और रिजल्ट निकालने तक की तैयारी कर चुका है.

परीक्षा बोर्ड की बैठक में इसका निर्णय लिया जा चुका है.- केंद्र से राज्य सरकार ने मांगा जवाब- पूछा किनकी गलती से हुए इनके नामांकन

क्या है मामला

झारखंड के तीनों मेडिकल कॉलेज रिम्स (रांची), पीएमसीएच (धनबाद), एमजीएम (जमशेदपुर) के वैसे 32 एसटी विद्यार्थियों के नामांकन रद्द करने का आदेश दिया था, जिन्हें जेसीइसीइ की ओर से आयोजित संयु मेडिकल प्रवेश परीक्षा में 40 फीसदी से कम अंक आये थे. प्रवेश परीक्षा 150 अंकों की होती है(प्रभात खबर,रांची,15.9.2010).

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