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15 सितंबर 2010

अजी डरिए, महफूज नहीं सरकारी नौकरी

सरकारी नौकरी में आने के बाद खुद को सरकार का दामाद समझने की भूल करने वाले कर्मचारियों को अब अपनी सोच बदल लेनी चाहिए। उत्पादकता यूं ही घटती रही या फिर फाइलों का अंबार लगता रहा, तो कैंची उनकी नौकरी पर भी चल सकती है। उत्पादकता को लेकर दुनिया के कई देश जिस तरह से अपने कर्मचारियों की छंटनी करने में जुटे हैं, उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है। ताजा मामला क्यूबा सरकार का है। इस देश ने सरकारी नौकरियों में सुधार और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 5 लाख कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान कर दिया है। क्यूबा कम्युनिस्ट देश है और ऐसे देशों में तो सरकारी नौकरियों को और भी सुरक्षित समझा जाता है। इससे पहले रोमानिया सरकार भी अपने 60 हजार कर्मचारियों को अलविदा करने का फैसला कर चुकी है। ब्रिटेन भी सार्वजनिक क्षेत्र के 2 लाख कर्मचारियों की छंटनी पर विचार कर रहा है। हाल ही में कर्ज संकट का शिकार बने यूनान ने भी न सिर्फ बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी का एलान किया, बल्कि उनके वेतन में भी भारी कटौती कर डाली है। वैसे भारत सरकार की ओर से भले ही कर्मचारियों की छंटनी जैसा कोई कदम नहीं उठाया गया हो, लेकिन सरकारी कंपनियां इस बारे में जरूर सोच रही हैं। बीएसएनएल, एमटीएनएल, एयर इंडिया वो कुछ सरकारी कंपनियां हैं, जहां के कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटक रही है। सरकार द्वारा नियुक्त सैम पित्रोदा समिति ने बीएसएनएल में एक लाख कर्मचारियों की छंटनी की सिफारिश की है। इस सरकारी टेलीकॉम कंपनी में लगभग तीन लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। वहीं एमटीएनएल में 30 हजार कर्मियों का भविष्य दांव पर है। दिल्ली व मुंबई में टेलीकॉम सेवा देने वाली बीएसएनएल की इस सहयोगी कंपनी में 45 हजार कर्मचारी हैं, यानी बात दो तिहाई कर्मचारियों को घर पर बैठाने की हो रही है। इसी तरह भारी घाटे का शिकार एयर इंडिया में भी बड़े पैमाने पर छंटनी की चर्चा चल रही है। रोमानिया की सरकार पहले ही प्रशासनिक खर्च में कटौती के नाम पर कर्मचारियों की छंटनी का फैसला कर चुकी है। मंगलवार को साम्यवादी देश क्यूबा भी इस ओर बढ़ गया है। क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने कहा कि सरकार व्यापार, निर्माण और सेवा क्षेत्र को बहुत अधिक समय तक सहारा नहीं दे सकती। सरकारी कर्मचारियों के वेतन लगातार बढ़ रहे हैं। अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। सरकारी सहयोग से कर्मचारियों की आदतें बिगड़ती हैं। लिहाजा उत्पादकता घटती है। क्यूबा सरकार के मुताबिक देश में 10 लाख कर्मचारी फालतू हैं। अब इस देश की सरकार का जोर निजी क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने का है। कर्मचारियों की छंटनी की प्रक्रिया अभी से शुरू होकर अप्रैल, 2011 तक चलेगी(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,15.9.2010)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच में यह तो सोचने वाली बात है.. लेकिन इससे भी ज्यादा यह सोचने की जरुरत है की सरकारी नौकरी में जो थोडा बहुत ईमानदार लोग हैं कहीं उनका ही नंबर कट न हो जाय.. क्योंकि जुगाडू लोग तो इस आपदा से बच ही जायेंगें न!!!!

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