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15 सितंबर 2010

कालीन उद्योग में करिअर

कालीन तैयार करने का हुनर सॉफ्टवेयर और मशीनों की राह चल पड़ा है। अब इंजीनियरिंग के दायरे में इसकी पढ़ाई हो रही है और छात्र एक बेहतर करियर का ताना-बाना बुन रहे हैं।

इक्कीसवीं सदी में कालीन यानी कारपेट फर्श से लेकर दीवारों तक सभी जगह मौजूद है। जिस रूप में आज कालीन बाजार में दिखाई देते हैं, उनकी शक्लोसूरत पहले वैसी नहीं थी। कारीगरों के परंपरागत हुनर से डिजाइन बनाते थे, लेकिन आज मशीन निर्मित कालीन बनाए जा रहे हैं। आलम यह है कि पूरे विश्व में लाखों कारीगर रात-दिन काम कर कालीन को लोगों की पसंद और जरूरत के हिसाब से तैयार करने में लगे हुए हैं।

भारत में जम्मू-कश्मीर का नाम कालीन निर्माण में सबसे ऊपर है। इसके साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात में भी उम्दा किस्म व डिजाइन के कालीन तैयार हो रहे हैं। कालीन का निर्यात आज बड़े पैमाने पर हो रहा है। पूरे विश्व में भारतीय कालीनों की धमक है। आंकड़े बताते हैं कि विश्व बाजार का 36 प्रतिशत कालीन भारत से निर्यात होता है। कालीन की कई किस्में हैं। हाथ से बने ऊनी कालीन, सिल्क से बने कालीन, सिंथेटिक कालीन, हाथ से बनी ऊनी दरियां- इन सबकी बाजार में भारी मांग है। कालीन के निर्यात के बड़े शेयर को देखते हुए भारत सरकार ने कारपेट एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया बना रखी है। यह भारतीय निर्यातकों को बाजार की पहचान करने से लेकर वित्तीय सहायता प्रदान करने तक मदद देती है।

कारपेट इंडस्ट्री के विकास, निर्यात, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ ही उनके लिए आमदनी का स्रोत कैसे मुहैया हो, इसके लिए यूएनडीपी, आईआईटी-दिल्ली, निफ्ट, वुड रिसर्च एसोसिएशन, इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ कारपेट टेक्नोलॉजी, कारपेट एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल हथकरघा उद्योग खासकर कारपेट उद्योग की उन्नति कैसे हो, इस पर जोर दे रहे हैं। इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ कारपेट टेक्नोलॉजी ने हाल में एक डिजाइन स्टूडियो का गठन किया है, जिसकी मदद से कारपेट के बुनने, उसके कलर कंबीनेशन के लिए सीएडी सिस्टम भी लगाए गए हैं, ताकि उच्च कोटि का कारपेट तैयार किया जा सके।
कालीन बनाने में परंपरागत कारीगरों का जो हिस्सा है, वह तो है ही, बिना किसी पृष्ठभूमि के लोग भी कालीन निर्माण की प्रक्रिया सीख रहे हैं। बदलते समय के अनुसार यह उद्योग भी बदला है और इसीलिए खानदानी पेशा होने के साथ-साथ इसकी संस्थानों में पढ़ाई भी होने लगी है। पढ़ाई ने इसे एक बेहतरीन करियर का रूप दे दिया है।

मशीन से बनने वाले कालीन कंप्यूटर पर बनाए गए डिजाइन को लेकर चलते हैं। अब स्थिति यह है कि कालीन तैयार करने का हुनर सॉफ्टवेयर और मशीनों की राह चल पड़ा है। इसने इतना विस्तार ले लिया है कि इंजीनियरिंग के दायरे में इसकी पढ़ाई-लिखाई हो रही है और छात्र कालीन बनाने की पढ़ाई कर एक बेहतर करियर का ताना-बाना बुन रहे हैं।

कोर्स एवं योग्यता

बी टेक इन कारपेट एंड टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी

इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना अनिवार्य है। साथ ही अभ्यर्थी ने भौतिकी एवं गणित अनिवार्य विषय के रूप में लिया हो, तभी बीई एवं बीटेक कारपेट एंड टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया जा सकता है। कोर्स के दौरान डिजाइन, बुनाई और तकनीक के बारे में जानकारी दी जाती है।

कहां-कहां हैं अवसर

कारपेट टेक्नोलॉजी में डिग्री व डिप्लोमाधारी टेक्सटाइल डिजाइनिंग, मैनेजमेंट, रिसर्च एंड डेवलप्मेंट, क्वालिटी कंट्रोल, इंजीनियरिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, ग्राफिक डिजाइन एंड विजुअल कम्युनिकेशंस वगैरह में रोजगार पा सकते हैं।

कोर्स

बी-टेक (कारपेट एंड टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी) के अलावा डिप्लोमा इन कारपेट टेक्नोलॉजी कोर्स कर सकते हैं। एआईईईई का एडमिशन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद बोर्ड द्वारा आयोजित किया जाता है।

प्रमुख संस्थान

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ कारपेट टेक्नोलॉजी
चौरी रोड, भदोही, उत्तर प्रदेश

वेबसाइट- www.iict.ac.in

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ कारपेट टेक्नोलॉजी,
जिमखाना क्लब, सेक्टर-25, हुडा, पानीपत, हरियाणा

वेबसाइट- www.iict.ac.in

इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ कारपेट टेक्नोलॉजी, जम्मू
एंड कश्मीर
वेबसाइट- www.iict.ac.in

इन संस्थानों में बी-टेक (कारपेट एंड टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी) की शिक्षा दी जाती है। कुछ संस्थान जहां कारपेट टेक्नोलॉजी की पढ़ाई टेक्सटाइल कोर्स में शामिल है, वे इस प्रकार हैं-

श्री जेजे इंस्टीटय़ूट ऑफ अप्लाइड आर्ट, मुंबई, मुंबई विश्वविद्यालय
कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, उत्तर प्रदेश
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली

(फजले गुफरान,हिंदुस्तान,दिल्ली,14.9.2010)

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