सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निजी संस्थानों में सत्र 2010-11 की बीएड प्रवेश प्रक्रिया के लिए दो हफ्ते में काउंसलिंग पूरी करने का आदेश दिया है। मालूम हो कि बीएड सत्र 2009-10 को राज्य सरकार की ओर से शून्य घोषित किए जाने के बाद निजी संस्थानों ने इस मुद्दे पर सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की है।
18,500 छात्रों की काउंसलिंग शेष
न्यायाधीश आरवी रवींद्रन और एचएल गोखले की पीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता श्रीष मिश्रा ने बताया कि सिर्फ 18,500 छात्रों की काउंसलिंग शेष है। सत्र 2010-11 की प्रवेश परीक्षा में लगभग एक लाख दो हजार अभ्यर्थी सफल हुए हैं। वहीं कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजूकेशन और स्ववित्तपोषीय महाविद्यालय कल्याण संघ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि बीएड सत्र में राज्य सरकार के ढीलेपन की वजह से हर साल देरी होती है। सत्र 2009-10 में निजी संस्थानों को राज्य सरकार के इसी रवैये की वजह से बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था। सत्र के विलंब होने से छात्रों और संस्थानों में आयोजित होने वाली परीक्षा पर तलवार लटक जाती है।
अदालत को सूचित करने का आदेश जारी
पीठ ने अधिवक्ता के इस तर्क पर राज्य सरकार को दो हफ्ते में काउंसलिंग पूरी करके अदालत को सूचित करने का आदेश जारी करते हुए सुनवाई को तीन हफ्ते के लिए टाल दिया। सर्वोच्च अदालत ने 27 अगस्त को राज्य सरकार से बीएड सत्र में समय पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने से संबंधित हलफनामा दायर करने को कहा था। याद रहे कि राज्य सरकार ने 15 अक्तूबर, 2009 को बीएड सत्र 2009-10 को शून्य घोषित करने का शासनादेश जारी किया था। इस शासनादेश को हाईकोर्ट ने मार्च में निरस्त कर दिया, लेकिन प्रवेश प्रक्रिया को अनुमति नहीं दी थी, जिसके बाद निजी संस्थानों ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर राज्य सरकार पर जानबूझकर बीएड सत्र में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। निजी संस्थानों का कहना है कि पिछले सत्र में एक हजार संस्थानों और लाखों छात्रों को राज्य सरकार की लापरवाही का नतीजा भुगतना पड़ा था।
(पीयूष पांडेय,अमर उजाला,दिल्ली,18.9.2010)
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