लिंग्दोह सिफारिशों की कसौटी पर सफलतापूर्वक संपन्न हुए डीयू के डूसू चुनाव के बाद अब जेएनयू में छात्र संघ चुनाव की सुबगुबाहट तेज हो गई है। जेएनयू में चुनाव करवाने को लेकर विभिन्न छात्र संगठन बीच का रास्ता निकालने के लिए कोर्ट की शरण में जाने की सोच रहे हैं। बता दें कि जेएनयू में छात्र संघ का अंतिम चुनाव वर्ष 2007 में हुआ था। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ-साथ चुनावी बहार भी लौट आई है। डीयू में छात्र संघ चुनाव की सफलता के बाद अब जेएनयू में भी विभिन्न छात्र संगठन चुनाव के लिए सक्रिय हो गए हैं। छात्रों को लुभाने के लिए कैंपस में जगह-जगह हैंडमेट पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं। वर्ष 2007 के छात्र संघ चुनाव के बाद सुप्रीमकोर्ट ने यहां चुनाव में पाबंदी लगा दी थी। सुप्रीमकोर्ट ने जेएनयू छात्र संघ चुनाव को कांस्टीट्यूशनल बेंच को सौंप दिया है। इस बेंच के फैसले में हो रही देरी को देखते हुए चुनाव के लिए छात्र संगठन बीच का रास्ता अपनाने के पक्ष में हैं। वर्ष 2007 के जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष संदीप सिंह कहते हैं कि छात्र संघ चुनाव में इतना समय लगना गलत है। चुनाव करवाने को लेकर हम यूनिवर्सिटी प्रशासन के संबंधित अधिकारी के साथ कोर्ट पहुंच बीच का रास्ता अपनाने का अपील करेंगे। जेएनयू अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महामंत्री विनीत चतुर्वेदी ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ चुनाव पर रोक तार्किक नहीं है। इससे छात्रों को तमाम तरह की परेशानियां हो रही हैं(विभूति कुमार रस्तोगी,दैनिक जागरण,दिल्ली,19.9.2010)।
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