हिमाचल प्रदेश में डेंटल डॉक्टरों की रजिस्ट्रेशन अब पांच साल में एक बार होगी। हिमाचल प्रदेश डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस संबंध में वीरवार को बैठक कर एक प्रस्ताव पारित किया है। बैठक में इस विषय पर चर्चा के दौरान काउंसिल की अध्यक्षता डेंटल सेवाएं निदेशक डॉ. हेमलता सूद ने की।
बैठक में डेंटल डॉक्टरों के पंजीकरण मामले पर पांच साल में एक बार करने के निर्णय को अंतिम सहमति दी गई है। इस निर्णय को सरकार के समक्ष भी पेश किया जाएगा। हर साल डॉक्टरों को अपना पंजीकरण करवाना पड़ता था, लेकिन प्रदेश में भोगौलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इस लिए पंजीकरण के समय को लंबा किया गया है। इसके अलावा डेंटल काउंसिल ने रजिस्ट्रेशन फीस 100 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए करने का भी फैसला लिया। काउंसिल ने कांटिन्युअल डेंटल एजूकेशन प्रोग्राम डॉक्टरों के लिए जरूरी बनाने का भी प्रस्ताव पारित किया। प्रदेश में इस साल जुलाई में हिमाचल प्रदेश डेंटल काउंसिल गठित की गई है।
सालों से रिक्त पद
कमला नेहरू अस्पताल में लंबे समय से गायनाकोलोजिस्ट, नर्सिग सुपरिटेंडेंट, सिस्टर ट्यूटर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आदि का टोटा चल रहा है। ऐसे में कई बार चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का काम सहायकों को करना पड़ता है। अस्पताल में सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रशासन के प्रयास अभी तक नाकाम साबित हुए हैं।
अस्तपाल में गायनोकलोजिस्ट का एक, चतुर्थ श्रेणी के 15 पद, नर्सिग सुपरिटेंडेंट का एक, सिस्टर ट्यूटर का एक, फार्मासिस्ट का एक, ऑफिसर वैन ड्राइवर का एक पद खाली है। स्टाफ की कमी के कारण कर्मचारियों पर अतिरिक्त काम का बोझ पड़ रहा है।
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, केएनएच डॉ. रीता नैयर ने बताया कि खाली पदों को भरने के लिए आईजीएमसी प्रशासन को अवगत करवा गया है। प्रशासन इन रिक्त पदों को भरने के लिए जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा(दैनिक भास्कर,शिमला,15.10.2010)।
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