लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वारा कुल छ: केन्द्रों पर करायी गयी काउंसिलिंग में आखिरकार हजारों छात्र छले गये। निरस्त एलाटमेंट मिलते ही छात्राएं रो-रोकर घर वापस लौटी। कला वर्ग में सभी केन्द्रों पर हुई काउंसिलिंग में चालीस हजार से अधिक छात्रों का एलाटमेंट लेटर निरस्त मिला।
लखनऊ विवि के दो दिन की लगातार चली काउंसिलिंग पर उंगलियां उठने लगी। 11 से 12 अक्टूबर के बीच एक लाख 60 हजार रैंक से 2 लाख 30 हजार रैंक तक के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग करायी गयी थी। जिसमें प्रति छात्र से 500 व 5 हजार की दो डीडी लिया गया था। जिसमें महज कुल 1600 ही सीटें भी थी, और 60 हजार छात्र इन सीटों पर च्वाइस लाक किये थे। लेकिन जब बुधवार को छात्रों को एलाटमेंट लेटर मिला तो भौंचक रह गये। उनको जब यह पता चला कि एक लाख 98 हजार रैंक तक के छात्रों को कालेज मिला तो सभी केन्द्रों पर हो हल्ला करने लगे कि क्यों हम लोगों को गुमराह कर 2 लाख 30 हजार रैंक तक छात्रों को काउंसिलिंग करायी गयी। हम लोगों को सीधा-सीधा लखनऊ विवि ने ठगा है। हालांकि सभी केन्द्रों पर पुलिस ने मामले को तो संभाल लिया मगर छात्राओं का बुरा हाल था। वह रो-रोकर घर वापस लौटी। उनको ठगे जाने का एहसास हो गया था।
गोरखपुर से आयी छात्रा दीपिका पाण्डेय ने कहा कि हम लोग तीन दिन से यहां रुके थे। जिसके चलते चार हजार से अधिक खर्चा हुआ है। पीयूष गुप्ता ने कहा कि जब सीटें नहीं थी तो काउंसिलिंग के लिए क्यों बुलाया गया। मोहित वर्मा ने बताया कि बलिया से अभिभावक के साथ कालेज पाने की उम्मीद से काउंसिलिंग के लिए आये थे लेकिन जिल्लत के सिवा कुछ नहीं मिला। शिल्पी सिंह ने कहा कि जब 800 सीटें थी तो फिर उसी के अनुसार बुलाना चाहिए था, यह तो सिर्फ छात्रों को ठगने की साजिश थी(दैनिक जागरण संवाददाता,मल्हनी-जौनपुर,13.10.2010)।
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