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15 अक्तूबर 2010

आईआईटी मुंबई के छात्रों ने बनाया लघु उपग्रह

मुम्बई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के छात्र अपने कौशल और प्रौद्योगिकी क्षमता का परिचय देते हुए एक लघु उपग्रह ‘प्रथम’ तैयार कर रहे हैं जिसे अगले वर्ष के पूर्वार्द्ध में इसरो की मदद से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा। आईआईटी-बी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. पी एम मजूमदार ने बताया, ‘यह उपग्रह पूर्ण रूप से संस्थान के छात्रों का प्रयास है और इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद से पीएसएलवी के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा।’ आईआईटी मुम्बई के छात्र इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए उपग्रह के डिजाइन को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। इस सिलसिले में कुछ दिन पहले संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में ‘सेटेलाइट ट्रैकिंग ग्राउंड स्टेशन’ स्थापित किया गया है जो उपग्रह पर निगरानी रखेगा।

परियोजना से जुड़े छात्र कर्तव्य नीमा ने कहा, ‘ उपग्रह प्रथम का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और दो महीने में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि उपग्रह के प्रक्षेपण की कोई तिथि तो निर्धारित नहीं की गई है लेकिन इसे साल 2011 के पूर्वार्द्ध में अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विशुद्ध रूप से छात्रों के प्रयास से तैयार किए जा रहे ‘उपग्रह प्रथम’ का वजन आठ किलोग्राम होगा और यह 817 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में चक्कर लगाएगा। इस उपग्रह को अगले वर्ष के पूर्वार्द्ध में अंतरिक्ष में छोड़ा जा सकेगा।’ नीमा ने कहा कि उपग्रह और ग्राउंड स्टेशन के बीच ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है जिससे ‘सिग्नल’ जमीन पर नौ सेकेण्ड में प्राप्त हो जाएं।

आईआईटी-बी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना की सफलता के आकलन के बाद संस्थान अगले पांच वर्ष में पांच उपग्रहों का निर्माण करेगा जिसका उद्देश्य शिक्षकों और छात्रों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े शोध के क्षेत्र में मदद करना और संस्थान को उपग्रह एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि उपग्रह ‘प्रथम’ को प्रक्षेपित करने से पहले इसके सभी घटकों का परीक्षण किया जाएगा और इसके माध्यम से आयन मंडल में इलेक्ट्रान चक्र का माप किया जा सकेगा। अधिकारी ने कहा कि संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में स्थित ग्राउंड स्टेशन से न केवल हम अपने उपग्रह के सिग्नल का पता लगा पाएंगे बल्कि इलेक्ट्रान काउंट का कार्य भी कर सकेंगे। पिछले कुछ दिनों में ग्राउंड स्टेशन ने अंतरिक्ष में तैरते कई उपग्रहों के संकेत प्राप्त किए हैं। उपग्रह से प्राप्त आंकडे, रूचि रखने वाले विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं को भी प्रदान किए जाएंगे(अमर उजाला,14.10.2010)।

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