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14 अक्तूबर 2010

पीएफ के पैसे शेयरों में लगेंगे, बशर्ते सरकार दे गारंटी

श्रम मंत्रालय ने कहा कि वह 5 लाख करोड़ रुपये के भविष्य निधि का कुछ हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर सकता है, बशर्ते वित्त मंत्रालय कर्मचारियों के धन की सुरक्षा की गारंटी दे।
वित्त मंत्रालय कहता रहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि का एक हिस्सा शेयरों में निवेश किया जाना चाहिए ताकि बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सके, लेकिन इस सुझाव का श्रम मंत्रालय ने इसलिए विरोध किया है क्योंकि इस तरह के निवेश में अधिक जोखिम है।
श्रम सचिव पी़सी़ चतुर्वेदी ने वित्त सचिव अशोक चावला को लिखे एक पत्र में कहा कि अगर शेयर बाजार में निवेश इतना बढ़िया है तो सरकार को कर्मचारियों की जमापूंजी की सुरक्षा की गारंटी देने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए(हिंदुस्तान,दिल्ली,14.10.2010)।
इसी विषय पर दैनिक जागरण संवाददाता की रिपोर्ट कहती है कि सरकार की गारंटी मिलने के बाद ही पीएफ का पैसा शेयर बाजार में निवेश किया जाएगा। कर्मचारी भविष्य निधि [ईपीएफ] कोष के शेयर बाजारों में निवेश पर वित्त मंत्रालय काफी समय से श्रम मंत्रालय पर दबाव बनाता आया है।
हालांकि शेयर बाजारों से जुडे़ जोखिम को देखते हुए श्रम मंत्रालय इससे इंकार करता रहा है। लेकिन अब उसने कहा है कि अगर वित्त मंत्रालय कर्मचारियों के धन की गारंटी ले तो शेयरों में निवेश का फैसला लिया जा सकता है।
श्रम मंत्रालय के तहत आने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] के पास ईपीएफ के पांच लाख करोड़ रुपये जमा हैं। वित्त मंत्रालय की नजर इसी भारी भरकम राशि पर है। वित्त मंत्रालय का तर्क है कि इस राशि को शेयर बाजारों में निवेश कर ज्यादा रिटर्न मिलेगा। जबकि श्रम मंत्रालय का मानना है कि इस तरह के निवेश में जोखिम ज्यादा है। वित्त सचिव अशोक चावला को श्रम सचिव पीसी. चतुर्वेदी ने इसी बाबत पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि अगर पूंजी बाजार में निवेश करना इतना ही अच्छा है, तो सरकार को कर्मचारियों की जमा पूंजी की गारंटी लेने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
ईपीएफओ के सभी फैसले केंद्रीय न्यासी बोर्ड [सीबीटी] ही करता है। श्रम मंत्री की अध्यक्षता में न्यासी बोर्ड की 15 सितंबर,10 को बैठक हुई थी। इसमें इस मसले पर चर्चा हुई थी। लेकिन तब वित्त मंत्रालय के निवेश प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया था। इससे पहले जुलाई,10 में वित्त सचिव ने श्रम सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि न्यासी बोर्ड में बिना किसी चर्चा के ही श्रम मंत्रालय को ईपीएफ स्कीम में फेरबदल का फैसला करना चाहिए। यानी वित्त मंत्रालय चाहता है कि श्रम मंत्रालय न्यासी बोर्ड को नजरअंदाज कर ईपीएफ कोष की राशि को शेयरों में निवेश का फैसला कर ले।
चतुर्वेदी ने अपने पत्र में लिखा है कि सरकार के नए निवेश तरीके पर न्यासी बोर्ड राजी नहीं है। इसके बाद की लाइनों में श्रम सचिव ने दोहराया है कि ईपीएफओ का न्यासी बोर्ड ही गरीब कर्मचारियों के धन का रखवाला है। उस पर ही यह जिम्मेदारी है कि वह उनके कोष की रक्षा करे और उन्हें वाजिब रिटर्न दिलाए। इसलिए ईपीएफ के कोष का शेयर बाजार में निवेश करने का अंतिम फैसला बोर्ड ही करेगा।

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