मेरठ के सुभारती मेडिकल कॉलेज की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कॉलेज के मुख्य एकाउंटेंट निर्मल शर्मा की हत्या के आरोप में इसके मालिक अतुल कृष्ण भटनागर पहले से सीबीआई के निशाने पर हैं और इस सिलसिले में जांच एजेंसी उनसे दो बार पूछताछ कर चुकी है। अब इस कॉलेज पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा भी कसना शुरू हो गया है। ईडी ने इसे मनी लांड्रिंग (अवैध धन का वैध बनाने) रोकने के कानून के तहत नोटिस भेज दिया है। दरअसल ईडी के निशाने पर सौ से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं, जिन्हें केतन देसाई ने भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष रहते हुए नियमों की अनदेखी कर फायदा पहुंचाया था। ईडी का मानना है कि मान्यता लेने व सीटें बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत देने वाले इन कॉलेजों में काले धन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। इसी कारण ईडी ने इन कॉलेजों से आय-व्यय का ब्योरा तलब किया है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आय-व्यय का ब्योरा मिलने के बाद कॉलेज की कुल परिसंपत्ति और उसके मालिकों की निजी संपत्तियों की जांच की जाएगी। सुभारती मेडिकल कॉलेज के संबंध में पूछे जाने पर ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केतन देसाई के समय में इसकी एमबीबीएस की सीटें 100 से बढ़ाकर 150 करने का फैसला किया गया। जबकि यह इसके लिए जरूरी मापदंड पूरी नहीं करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल के 80 फीसदी बिस्तरों पर मरीज होने चाहिए थे। लेकिन प्राप्त सूचना के मुताबिक इसके केवल 40 फीसदी बिस्तर ही मरीजों से भरे होते हैं। यही नहीं, भारतीय चिकित्सा परिषद के बनाए अन्य मापदंडों पर भी यह कॉलेज खरा नहीं उतरता है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो सुभारती मेडिकल कॉलेज के बारे में उन्हें काफी शिकायतें मिली हैं। इनके अनुसार सुभारती मेडिकल कॉलेज में उत्तर प्रदेश के कुछ बड़े नौकरशाहों और व्यापारियों से लेकर बड़े राजनेताओं ने अपनी काली कमाई का बड़ा हिस्सा लगा रखा है। यह एक संगीन आरोप है और सीधे तौर पर मनी लांड्रिंग से जुड़ा है। लिहाजा इसमें काली कमाई लगाने वालों के खिलाफ भी मनी लांड्रिंग के तहत कार्रवाई की जाएगी। मनी लांड्रिंग रोकने के कानून में काली कमाई से बनाई गई संपत्तियों को जब्त किए जाने का प्रावधान है(दैनिक जागरण,मेरठ,4.11.2010)।
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