चिकित्सा जगत की व्यावसायिक शिक्षा के लिए,गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने एक और क़दम बढ़ाते हुए,एलोपैथी,होम्योपैथी के बाद अब आयुर्रवेद की पढ़ाई शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय इस मुहिम के तहत 2010-11 के लिए एक आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज शुरु करने जा रहा है जिसके लिए रोहिणी के ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान को मान्यता दे दी गई है,हालांकि अभी इस पाठ्यक्रम पर आयुर्वेद काउंसिल की मंज़ूरी का इंतज़ार है।
आईपीयू के कुलपति प्रो. दिलीप कुमार बंदोपाध्याय ने कहा कि सही मायनों में आयुर्वेद ही भारतीय चिकित्सा पद्धति है। पुरातन काल में इसका इस्तेमाल खूब हुआ,मगर पिछले कुछ दशकों से इसके प्रति जनमानस का रुझान कम हुआ है जबकि यह चिकित्सा क्षेत्र की सबसे असरदार चिकित्सा पद्धति रही है। सही मायनों में,आयुर्वेद ही फ्यूचर मेडिसिन सिस्टम है। उन्होंने बताया कि आईपीयू के अंतर्गत आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज खोले जाने का प्रमुख उद्देश्य छात्र-छात्राओं के बीच भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना ही है।
आईपीयू ने रोहिणी स्थित ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान को मान्यता दे दी है। इस कॉलेज में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी(बीएएमएस) कोर्स के तहत शुरुआत में कुल 100 सीटें होंगी(दैनिक भास्कर,दिल्ली,13.11.20100।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।