देश में तेजी से बढ़ती आईटी इंडस्ट्री ने न सिर्फ बड़े स्तर पर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मांग बढ़ायी है, बल्कि इसी क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए विशेषज्ञता रखने वाले लोगों के लिए भी जगह तैयार की है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रक्रिया में हर स्तर पर जुड़ा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग, एक ऐसा ही कार्यक्षेत्र है, करियर की आकर्षक संभावनाएं पेश कर रहा है।
गार्टनर द्वारा प्रस्तुत आकलन के अनुसार सॉफ्टवेयर टेस्टिंग इंडस्ट्री वर्ष 2014 तक 2500 मिलियन रुपए की हो जाएगी। खासतौर पर भारत में बड़े स्तर पर आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों की मौजूदगी और ग्लोबल मार्केट में बढ़ती उनकी भागेदारी ने कुशल व प्रशिक्षित टेस्टर्स की भूमिका को पहले से कहीं अधिक जरूरी बना दिया है। साथ ही यह क्षेत्र उबाऊ है, सॉफ्टवेयर डेवलपर को अधिक सैलरी मिलती है, सिर्फ इंजीनियरिंग ग्रेजुएट ही टेस्टर बन सकते हैं या इस क्षेत्र में करियर ग्रोथ नहीं है आदि। इस क्षेत्र से संबंधित मिथकों को दूर कर यह क्षेत्र सभी तरह के युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
क्या है सॉफ्टवेयर टेस्टिंग
पिछले दस सालों में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग ने विशेष डिसिप्लिन के रूप में जगह बनाई है। इसके तहत किसी प्रोग्रामर द्वारा विकसित किए गए सॉफ्टवेयर की स्पेसिफिकेशंस और कोडिंग की जांच की जाती है। उसकी खामियों की जांच की जाती है। हालांकि प्रोफेशनल टेस्टरों से पहले भी सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का कार्य किया जाता था, पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर और प्रोग्रामर ही कोड आदि की जांच करते थे, पर वे इस क्षेत्र में प्रशिक्षित नहीं थे।
गैराल्ड एम. वेनबर्ग को 1950 में आईबीएम में पहली स्पेशलाइज्ड टेस्टर्स की टीम बनाने का श्रेय जाता है। पर, 1980 के बाद ही इस क्षेत्र में खास प्रगति देखने को मिलने लगी। अधिकतर आईटी प्रोडक्ट और सर्विस संस्थानों में सॉफ्टवेयर टेस्टर्स की टीम काम कर रही है। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग प्रोडक्ट डेवलपमेंट का एक अहम हिस्सा है जिसके बाद ही किसी सॉफ्टवेयर की क्वालिटी एश्योरेंस और अंतिम उत्पाद को दोषरहित बनाने में मदद मिलती है। सॉफ्टवेयर की जरूरत, स्पैसिफिकेशंस, डिजाइन से लेकर डोमेन नॉलेज, कोडिंग और क्लाइंट स्वीकार्यता के सभी स्तर पर सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का कार्य किया जाता है।
भारत में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग
दुनिया भर में कुल ऑउटसोर्स्ड टेस्टिंग सर्विस में भारत की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। टेस्टिंग कार्य के लिए भारत दुनियाभर के लिए आउटसोर्स्ड हब का काम कर रहा है। भारत में सॉफ्टवेयर टेस्टर की नियुक्तियां सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कंपनियों से लेकर किसी आईटी कंपनी के इंटरनल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग विभाग में की जाती है। ईडीएस-एमफिसिस, एप्पलैब, प्योर टेस्टिंग, एसटीसी, थर्ड आई, मेवरिक, विप्रो, इंफोसिस, माइंडट्री, कॉग्निजेंट, टीसीएस, सत्यम, एचसीएल, महिंद्रा टैक, थिंक सॉफ्ट, गूगल, सिमैंटेक, सैंमसंग, एलजी, मैकफ्री, माइक्रोसॉफ्ट, असेंच्योर समेत विभिन्न कंपनियां बड़े पैमाने पर भर्तियां कर रही हैं।
कई बड़ी कंपनियों में सॉफ्टवेयर टेस्टर की टीम कुल वर्कफोर्स के 20 प्रतिशत से अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार मंदी के बाद दुनियाभर में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कंपनियां तेजी से रिकवरी कर रही है। भारत और चीन कम कीमत पर वर्क फोर्स उपलब्ध कराने वाले देश हैं। देश और विदेश में विभिन्न कंपनियां तेजी से बढ़ रहे बाजार में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस स्थापित कर रही हैं।
क्या करते हैं सॉफ्टवेयर टेस्टर
सॉफ्टवेयर टेस्टर किसी नवनिर्मित सॉफ्टवेयर की खामियों और कमियों को ढूंढतें हैं। सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट को जिस कार्य के लिए डेवलप किया गया है, वह उस अपेक्षा पर खरा उतरता है या नहीं, यह जांचना टेस्टर का काम होता है। टेस्टिंग का कार्य व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग, ऑटोमेटेड टेस्ट डाइरेक्शन और परफॉरमेंस टेस्टिंग एरिया विभिन्न स्तरों पर होता है। कई जगह आपको यूजर इंटरफेस की मदद से डेवलपर द्वारा दी गई गाइडलाइन के आधार पर टेस्ट करते हैं तो कई जगह आप कोडिंग एप्लीकेशन, यूनिट टेस्टिंग, विभिन्न लैंग्वेज व टेस्टिंग टूल की जानकारी के आधार पर टेस्टिंग करते हैं।
किसी सॉफ्टवेयर के डिजाइन, सिक्योरिटी, इस्तेमाल में आसान, प्रभावी कार्य प्रक्रिया आदि विभिन्न मानकों पर सॉफ्टवेयर की जांच करते हैं। टेस्ट प्रक्रिया के दौरान उन्हें टेस्ट केसेस लिखने होते हैं, उनका क्रियान्वयन करना होता है, उनकी दोष रिपोर्ट तैयार करनी होती है, साथ ही विभिन्न स्तर पर वे डेवलपर के साथ काम करते हुए उन्हें समस्या पहचानने और बग्स दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, टेस्ट आर्किटेक्ट के तौर पर उनका कार्य मास्टर टेस्ट प्लान तैयार करना और टेस्ट मैनेजर के साथ मिलकर काम करते हुए कुल टेस्टिंग प्रक्रिया को रणनीति के साथ क्रियान्वित करना है।
सॉफ्टवेयर टेस्टर प्राथमिक स्तर पर ही समस्याओं को पहचानकर दूर करने में मदद करते हैं, जो कि सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनियों के स्तर पर अधिक सस्ता और क्वालिटी प्रोडक्ट यूजर के हाथ में जाने से उसकी साख को बढ़ाता है।
आवश्यक स्किल्स
टेस्टिंग प्रक्रिया में विभिन्न तरह के कार्य करने के लिए विभिन्न स्किल्स का होना जरूरी है। अन्य प्रोफेशन की तरह सॉफ्टस्किल्स के साथ-साथ कुशल सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट बनने के लिए तकनीकी स्किल्स होना जरूरी है। अच्छे टेस्ट करने के लिए डोमेन नॉलेज होना बेहद जरूरी है। साथ ही जिस क्षेत्र के सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के लिए आप कार्य कर रहे हैं, उस क्षेत्र की जानकारी होना जरूरी है।
मसलन, बैंकिंग, डेस्कटॉप पब्लिशिंग, डोमेन नॉलेज से लेकर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी, ऑटोमेटिड टेस्टिंग टूल्स की जानकारी, परफॉरमेंस टेस्टिंग, सिक्योरिटी टेस्टिंग ?, स्क्रिप्टिंग स्किल, तकनीक की अपडेट जानकारी होना जरूरी होगा। अच्छी कमुयनिकेशन स्किल और एनालिटिकल स्किल होना एक टेस्टर के लिए बेहद जरूरी है।
शैक्षिक योग्यता व प्रशिक्षण सुविधाएं
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए इच्छुकों के लिए यूं तो किसी खास तरह की डिग्री होने की अनिवार्यता नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में वोकेशनल ट्रेनिंग होना बेहतर होगा। सीएस/आईटी में इंजीनियर डिग्री या एमसीए डिग्री इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उपयुक्त होगी। बीबीए, बीकॉम और एमबीए युवा भी इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं, बशर्ते आप में अच्छे टेस्टिंग स्किल्स हों।
विभिन्न संस्थान इस संबंध में एक से छह माह की अवधि के सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं। ऑनलाइन सर्टिफिकेशन कोर्सेज भी कराए जाते हैं। इसके अलावा, प्योर ट्रेनिंग (एनसीआर और मुंबई), स्टैग सॉफ्टवेयर (बंगलुरू और चेन्नई), एडिस्टा टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (बंगलुरू), सीड इंफोटेक (पुणे), एसक्यूटीएल (पुणे) समेत विभिन्न संस्थान पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं। साथ ही कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में डिग्री रखना भी अच्छा विकल्प है।
खासतौर पर टेक्निकल टेस्टिंग मसलन ऑटोमेशन और परफॉरमेंस टेस्टिंग में जानकारी रखना जरूरी होगा। इंडियन टेस्टिंग बोर्ड ने इंटरनेशनल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्वालिफिकेशन बोर्ड में लगभग 30 हजार टेस्टर्स को सर्टिफाइड किया है। दुनियाभर में करीब डेढ़ लाख आईएसटीक्यूबी सर्टिफाइड टेस्टर काम कर रहे हैं। किसी भी संस्थान को ज्वॉइन करने से पूर्व उस कोर्स की अवधि, विषय वस्तु, फैकल्टी, संस्थान की प्रतिष्ठा व मान्यता, ट्रेनिंग के बाद प्लेसमेंट संबंधी सुविधाओं के आधार पर परखना बेहतर साबित होगा। इस संबंध में फीस अलग-अलग हैं। दाखिले के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है।
करियर ग्रोथ
इस क्षेत्र में आप कितना पैकेज पा सकते हैं, यह आपकी क्वालिफिकेशन और वर्क एक्सपीरियंस पर निर्भर करता है। उसके बावजूद, सॉफ्टवेयर को आकर्षक वेतन ऑफर किए जा रहे हैं। ऑन कैम्पस रिक्रूटमेंट और वॉक-इन इंटरव्यू या रेफर्ड एपॉइंटमेंट आदि सभी तरीकों से भर्तियां की जाती हैं।
एंट्री लेवल पर दो लाख रुपये सलाना पैकेज से इसकी शुरुआत हो सकती है। इस क्षेत्र में आप ट्रेनी सॉफ्टवेयर टेस्टर, एसोसिएट/जूनियर सॉफ्टवेयर टेस्टर, सीनियर सॉफ्टवेयर टेस्टर, टेस्ट लीडर, ट्रेनिंग मैनेजर, कंसल्टेंट, प्रोडक्ट मैनेजर, बिजनेस एनालिस्ट आदि विभिन्न क्षेत्रों में विकास कर सकते हैं। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और यूके आदि स्थानों में जहां टेस्टिंग वर्क को आउटसोर्स किया जाता है, वहां टेस्टिंग कार्य के लिए ऑनसाइट स्टॉफ भी रखा जाता है।
(पूनम जैन,हिंदुस्तान,दिल्ली,8.11.2010)
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