बच्चे नि:शक्त हैं तो क्या? वे भी पढ़ेंगे और आगे बढ़ेंगे। इस सोच के साथ शारीरिक व मानसिक रूप से नि:शक्त बच्चों को पढ़ाने की योजना शुरू की जा रही है। सर्व शिक्षा अभियान के समावेशित शिक्षा कार्यक्रम के तहत यह संभव होगा। इसके तहत राज्य सरकार गृह आधारित शिक्षा योजना शुरू कर रही है।
गृह आधारित शिक्षा के तहत ऐसे बच्चों को घर में जाकर ही उन्हें पढ़ाने की योजना तैयार की गई है। 12,105 बच्चों को यह सुविधा दी जाएगी। ये वैसे बच्चे होंगे, जो स्कूल जाने में सक्षम नहीं हैं। बच्चों को घर जाकर शिक्षा देने के लिए प्रत्येक जिले में 60-60 'केयर गीवर' का चयन किया जाएगा। एक केयर गीवर को 5 से 10 बच्चों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। केयर गीवर बच्चों के अभिभावक भी हो सकते हैं। यदि बच्चे के अभिभावक केयर गीवर होंगे तो उन्हें कम से कम मैट्रिक शिक्षित होना अनिवार्य होगा, बाहर के होंगे तो उन्हें इंटर उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। प्रत्येक केयर गीवर को प्रतिदिन कम से कम ढाई घंटे बच्चों पर देना अनिवार्य होगा। केयर गीवर को प्रत्येक बच्चे तीन सौ रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे।
स्कॉट से स्कूल पहुंचाए जाएंगे बच्चे
समावेशित शिक्षा के तहत शारीरिक रूप से नि:शक्त बच्चों को स्कॉट से स्कूल पहुंचाने की एक अन्य योजना शुरू की गई है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1,429 बच्चों को यह सुविधा दी जाएगी। इसके लिए पांच सौ रुपये प्रति बच्चे के मानदेय पर स्कॉट से स्कूल पहुंचानेवाले व्यक्ति नियुक्त किए जाएंगे। यह व्यक्ति किसी बच्चे का अभिभावक भी हो सकता है। इसकी जिम्मेवारी बच्चों को समय पर स्कूल ले जाने तथा छुट्टी के बाद सकुशल घर पहुंचाने की होगी। एक व्यक्ति को एक या एक से अधिक बच्चों को जिम्मेदारी दी जा सकती है(नीरज अम्बष्ठ,दैनिक जागरण,रांची,13.11.2010)।
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