सरकारी पॉलीटेक्निकों में पढ़कर इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले छात्र निराश हैं। कारण, ज्यादातर संस्थानों में शिक्षकों के आधे से अधिक पद रिक्त होना है। प्राविधिक शिक्षा निदेशालय ने पांच प्रधानाचार्यो समेत ढाई सौ शिक्षकों को नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा है।
वर्तमान में राज्य में 37 सरकारी पॉलीटेक्निक संचालित हो रहे हैं। इसमें से 19 का संचालन गढ़वाल और 18 का कुमाऊं मंडल में हो रहा है। इन संस्थानों में करीब दस हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। साथ ही, एक अर्द्धशासकीय और 25 प्राइवेट संस्थान भी चल रहे हैं। शासकीय पालीटेक्निकों में कुल 1409 पद स्वीकृत हैं। इनके सापेक्ष कुल 664 नियुक्तियां ही की गई हैं, जबकि 745 पद लम्बे समय से रिक्त हैं। संस्थानों में प्रधानाचार्य समेत शिक्षकों के कुल 806 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 439 पद खाली हैं। केवल 367 पदों पर ही प्रधानाचार्य और शिक्षक तैनात हैं। कंप्यूटर साइंस विषय पर तो एक चौथाई शिक्षकों की भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। अब तक 2007 में इस ट्रेड के लिए मात्र एक बार शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने का दंभ भरने वाली सरकार छात्रों के भंिवष्य को लेकर कितनी गंभीर है।
किसके कितने पद खाली
पद-स्वीकृत पद-भरे-खाली
प्रधानाचार्य-35-21-14
क्लास वन-100- 60- 40
क्लास टू- 406- 150- 256
क्लास थ्री- 530- 272- 258
क्लास फोर- 373- 182- 191
'शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग से पत्राचार हो चुका है। जल्द ही 245 शिक्षकों और पांच प्रधानाचार्यो के लिए परीक्षा आयोजित की जाएगी। फिलहाल दो सौ पदों पर पार्ट टाइम कर्मचारी काम कर रहे हैं। जल्द ही, शिक्षकों की कमी को दूर कर लिया जाएगा।'
वीरेंद्र कुमार सिंह, उपनिदेशक, प्राविधिक शिक्षा(नवीन खंडूड़ी,दैनिक जागरण,श्रीनगर,13.11.2010)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।