चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों में बेचे जा रहे महंगे एडमिशन फार्म पर प्रशासन ने कड़ा नोटिस लिया है। बुधवार को शिक्षा विभाग ने शहर के सभी प्राइवेट स्कूलों को एक सर्कुलर जारी कर स्पष्ट किया है कि यदि किसी स्कूल ने एडमिशन फार्म सौ रुपये से अधिक रुपये में बेचा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि उसकी मान्यता भी रद की जा सकती है। शहर के प्राइवेट स्कूलों में इस समय नर्सरी और जूनियर कक्षाओं में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है। शहर के कई प्रतिष्ठित स्कूलों द्वारा फार्म के नाम पर अभिभावकों से ३०० से ४०० रुपये वसूले जा रहे हैं।
बच्चों का दाखिला सुनिश्चित करने के लिए एक अभिभावक को कई कई स्कूलों में फार्म भरने पड़ रहे हैं। प्रशासन ने गत वर्ष घोषणा की थी कि शहर का कोई भी स्कूल सौ रुपये से महंगा एडमिशन फार्म न बेचे। स्कूलों को एडमिशन फार्म के साथ प्रास्पेक्टस न देने को कहा है। प्रास्पेक्टस केवल उन्हीं छात्रों को दिया जाए, जिनका दाखिला हो जाए। गृह सचिव राम निवास के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा अपने स्तर पर यह जांच की जाएगी।
राइट टू एजूकेशन का खाका तैयार
शिक्षा विभाग ने राइट टू एजूकेशन एक्ट-२००९ को इसी सत्र से लागू करने का खाका भी तैयार कर लिया है। गरीब बच्चों को उसी सेक्टर के स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित करने की तैयारी भी शुरू हो गई है। ऐसे में अब प्राइवेट स्कूलों को इकोनॉमिकल वीकर सेक्शन(ईडब्ल्यूएस) के तहत कक्षाओं में १५ फीसदी सीटों पर दाखिला देना ही होगा। इसके अलावा सभी प्राइवेट स्कूलों को स्कूल ड्रेस, किताब और अन्य जरूरी चीजों की पूरी जानकारी अपने नोटिस बोर्ड पर देनी होगी। जिसके बाद अभिभावक अपनी सुविधा अनुसार किसी भी दुकान से ड्रेस खरीद सकते हैं।
प्रॉस्पेक्टस की छपाई सौ रुपये में नहीं हो सकती
इंडीपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और सेक्टर-३८ स्थित विवेक हाई स्कूल के चेयरमैन एचएस मामिक ने कहा कि उनकी गुजारिश है कि गृहसचिव और सलाहकार प्राइवेट स्कूलों में इस तरह के मुद्दे उठाने से बचे। एडमिशन फार्म का मुद्दा इतना बड़ा नहीं है। एडमिशन फार्म और प्रास्पेक्टस की छपाई १०० रुपये में नहीं हो सकती। अभिभावक एडमिशन फार्म के साथ प्रास्पेक्टस भी खरीदते हैं, ताकि उन्हें पूरी जानकारी मिल सके(अमर उजाला,चंडीगढ़,12.11.2010)।
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