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26 नवंबर 2010

राजस्थान समाचार

लोक सेवा आयोग में गड़बड़ी रोकने को खास इंतजाम
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने परीक्षा प्रणाली में गड़बड़ी रोकने के लिए इन्तजाम और कड़े कर दिए हैं। आयोग की ओर से आवेदन से लेकर परिणाम जारी करने तक की प्रक्रिया में सुधार किया जा रहा है। आयोग भर्ती में गड़बड़ी की गुंजाइश को शू्न्य करना चाहता है।

आयोग ने कॉपी और जांच प्रक्रिया में बदलाव किए हैं। सुरक्षा कारणों के चलते इस बार आरएएस मुख्य परीक्षा की कॉपियां केंद्रीयकृत जांच के तहत आयोग कार्यालय में ही जांची जाएंगी। जांच का काम एक दिसम्बर से शुरू हो जाएगा। आयोग ने दूसरी परीक्षाओं की बाहर जंचवाई जाने वाली कॉपियों के लिए भी व्यवस्था की है। कॉपियों के साथ रोल नम्बर के बजाय बार कोड बाहर भेजा जाएगा। इसी तरह कई अन्य सुरक्षा इन्तजाम भी किए गए हैं।

परीक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए कई इन्तजाम किए गए हैं। परिणाम जल्द निकालने के लिए इस बार आरएएस मुख्य परीक्षा की कॉपियां आयोग कार्यालय में ही जंचवाई जाएंगी।
एम.एल. कुमावत, अध्यक्ष, आरपीएससीश्(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,26.11.2010)

बदलेंगी परीक्षा तिथियां
राजस्थान में 15 जनवरी से 15 मार्च तक स्कूलों व प्रतियोगी परीक्षाओं पर अघोषित प्रतिबंध लग सकता है। सरकार ने कर्मचारियों व शिक्षकों के जनगणना में व्यस्त होने के कारण दो महीनों तक परीक्षाओं को स्थगित रखने को कहा है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व अन्य संस्थाओं ने इस पर कवायद शुरू कर दी है।
जनगणना विभाग ने शिक्षा बोर्ड, राजस्थान लोक सेवा आयोग तथा अन्य विभागों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि दो महीने के दौरान परीक्षा कार्य स्थगित रखा जाए। इस दौरान जनगणना का राष्ट्रीय कार्यक्रम चलेगा। गौरतलब है कि लगभग सभी शिक्षण व भर्ती एजेंसियों ने परीक्षा व भर्ती का कैलेंडर बना रखा है। जनगणना विभाग के निर्णय को मानते हुए परीक्षा व भर्ती के शेड्यूल में बदलाव संभव है।

आगे बढेगी बोर्ड की परीक्षा तिथि
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सालाना परीक्षा की तिथि तय कर ली है। बोर्ड की सीनियर सैकंडरी की परीक्षा 10 मार्च तथा सैकंडरी की परीक्षा 17 मार्च से शुरू होनी है। अब दोनों परीक्षाओं की तिथि प्रभावित होगी। बोर्ड ने इस संबंध में कवायद शुरू कर दी है।

अन्य परीक्षा पर भी असर
जनगणना विभाग के आदेश से राजस्थान लोक सेवा आयोग तथा राज्य सरकार की भर्ती परीक्षाओं पर भी असर पडेगा। इन परीक्षाओं में वीक्षक के रूप में काम करने वाले शिक्षा विभाग के कर्मचारी होते हैं। उनके जनगणना में व्यस्त होने पर कार्यक्रम गडबडा सकता है।

प्रेक्टिकल बेअसर
जनगणना की पाबंदी से बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं बेअसर रहेंगी। बोर्ड के अनुसार इनमें स्कूल लेक्चरर लगाए जाते हैं। ऎसे में 15 जनवरी से एक महीने की अवधि तक होने वाले प्रेक्टिकल को टालने का औचित्य नहीं है।
इनका कहना है
जनगणना विभाग का पत्र मिला है। परीक्षा तिथियों को लेकर कवायद चल रही है। नई परीक्षा तिथि को लेकर शीघ्र फैसला कर लिया जाएगा।
डॉ. सुभाष गर्ग, अध्यक्ष, शिक्षा बोर्ड(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,26.11.2010)

भर्ती होंगे 415 पुलिस उप-निरीक्षक
राजस्थान लोक सेवा आयोग ने पुलिस उप निरीक्षक के पदों पर भर्ती का कार्यक्रम घोषित कर दिया है। आयोग की ओर से 415 पदों पर भर्ती की जाएगी। परीक्षा आवेदन एक दिसम्बर से मिलेंगे। आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर रखी गई है।

आयोग सचिव के.के. पाठक ने बताया कि उप निरीक्षक पुलिस आम्र्ड फोर्स में 381 तथा प्लाटून कमांडर के 34 पदों पर भर्ती होगी। इस भर्ती में पहली बार विशेष पिछडा वर्ग (एसबीसी) को भी आरक्षण दिया जाएगा। एसबीसी कोटे में चार अभ्यर्थी भर्ती होंगे। परीक्षा आवेदन एक दिसम्बर से जिला मुख्यालयों पर स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालयों से भेजे जाएंगे। आयोग का कहना है कि परीक्षा अप्रेल या मई 2011 में आयोजित की जाएगी। आवेदक की आयु 20 से 25 वर्ष होनी चाहिए। आरक्षित वर्गो तथा महिलाओं को आयु सीमा में नियमानुसार छूट दी जाएगी(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,26.11.2010)।

नर्सिगकर्मियों की नियुक्ति पर रोक
नर्स ग्रेड-द्वितीय की भर्ती के लिए गत अक्टूबर में आयोजित परीक्षा के आधार पर नर्सिगकर्मियों की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रोक दी है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने पाली निवासी तनुज वैष्णव सहित 17 अभ्यर्थियों की याचिका पर यह आदेश पारित किया।

उन्होंने राज्य सरकार को साफ निर्देश दिए कि इस परीक्षा के आधार पर आरपीएससी की सिफारिश मानकर किसी भी व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जाए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नर्स ग्रेड-द्वितीय परीक्षा का पर्चा पहले ही बाहर आ गया था। इस सम्बन्ध में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया। इसके बाजवूद राजस्थान लोक सेवा आयेाग ने परीक्षा निरस्त नहीं की।

इसी परीक्षा के आधार पर अब 29 नवम्बर को चयनित अभ्यर्थियों की काउंसलिंग आयोजित की जा रही है। पर्चा आउट हो जाने से इस परीक्षा की विश्वनीयता पर ही सवाल खड़ा हो गया है। लिहाजा इसे निरस्त किया जाना चाहिए। इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश माथुर ने राज्य सरकार एवं आरपीएससी से जवाब तलब करते हुए अगले आदेश तक नर्सिग भर्ती पर रोक लगा दी(राजस्थान पत्रिका,जोधपुर,26.11.2010)।


शिक्षकों का 'घालमेल' रोकने की कवायद शुरू
प्रारंभिक शिक्षा में शिक्षकों के स्थानान्तरण में घालमेल रोकने की कवायद शुरू हो गई है। अब पंचायत राज के पदों पर शिक्षा विभाग तथा सर्व शिक्षा अभियान के पदों पर शिक्षा विभाग के शिक्षकों का स्थानान्तरण नहीं किया जा सकेगा। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी उपनिदेशकों को निर्देश जारी कर दिए हैं।


वेतन बना संकट
शिक्षकों के वेतन बजट की अनुपलब्धता के चलते प्रारंभिक शिक्षा को यह निर्देश जारी करने पड़े हैं। निर्देश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि सर्व शिक्षा अभियान के पदों पर कार्यरत शिक्षकों का स्थानान्तरण सर्व शिक्षा अभियान के पदों पर, पंचायत राज के शिक्षक पंचायत राज के पदों पर तथा शिक्षा विभाग के शिक्षकों का स्थानान्तरण शिक्षा विभाग के पदों पर ही किया जाए।


64 का वेतन अटका
अलग-अलग सैटअप के पदों पर स्थानान्तरण के चलते ही लाडपुरा पंचायत समिति में करीब 64 शिक्षकों का वेतन दस माह से अटका हुआ है।
लाडपुरा पंचायत समिति में पंचायत राज के पदों पर गलत तरीके से पहले शिक्षा विभाग के शिक्षकों के स्थानान्तरण हुए और बाद में पंचायत राज शिक्षकों को यहां से रिलीव करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। ऎसे स्थानान्तरण निरस्त किए जाने चाहिएं।
-सत्येन्द्र चांदना, प्रदेशाध्यक्ष, पंचायत राज शिक्षक कर्मचारी संघ
इस तरह निर्देश मिले थे, जिन्हें सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भिजवा दिए गए हैं, ताकि अब आगे से एक ही मद के पदों पर स्थानान्तरण किए जा सकें।
-मधु सोरल, संयुक्त निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा(राजस्थान पत्रिका,कोटा,26.11.2010)

बोम में होगा अंतिम फैसला
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर में तीन पदों की भर्ती की प्रक्रिया पर उठ रहे सवालों पर अंतिम फैसला बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बोम) की बैठक में हो जाएगा। बोम की बैठक छह दिसम्बर को होगी। विश्वविद्यालय की कर्मचारी कल्याण समिति ने अनुभाग अधिकारी, सहायक कुलसचिव तथा परीक्षा नियंत्रक के एक-एक पद के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया पर ऎतराज जताया था। इसी क्रम में उन्होंने अनिश्चितकालीन हडताल पर जाने की चेतावनी दी थी।

बुधवार को समिति का प्रतिनिधिमण्डल कुलपति डॉ. जी. आर. जाखड से मिला। उन्होंने नियुक्ति प्रक्रिया को नियम विरूद्ध बताया। इस पर कुलपति ने उन्हें आश्वस्त किया कि सब कुछ नियमानुसार हो रहा है। फिर भी आपकी आपत्तियों को बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के समक्ष रखा जाएगा। इसमें आपत्तियों की जांच हो जाएगी तथा उसके अनुसार अंतिम निर्णय कर लिया जाएगा। प्रतिनिधिमण्डल में समिति अध्यक्ष ताराचन्द, उपाध्यक्ष प्रकाश कुमावत, महासचिव आनंदी लाल गढवाल, अनुभाग अधिकारी मोहनलाल जोइया व अन्य शामिल थे।
कुलपति से वार्ता के बाद समिति ने अनिश्चितकालीन हडताल पर जाने की चेतावनी भी वापस ले ली। उधर, अनुभाग अधिकारी के एक पद के लिए बुधवार को विश्वविद्यालय में साक्षात्कार रखा गया। इस पद के लिए दो दावेदार मैदान में हैं(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,26.11.2010)।

शिक्षकों का शक्ति प्रदर्शन
शिक्षा विभाग में तबादलों के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार और शिक्षकों की लम्बित समस्याओं के विरोध में राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के राज्यभर से आए शिक्षकों ने गुरूवार को बीकानेर में रैली निकाली और निदेशालय के समक्ष प्रदर्शन किया। शिक्षकों की रैली रेलवे स्टेशन से शुरू हुई। यह शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई पहले जिला कलक्ट्री पहुंची। यहां से निदेशालय गई जहां शिक्षकों को पुलिस जाब्ते ने भीतर नहीं जाने दिया। इस पर वे मुख्य द्वार के आगे ही धरना देकर बैठ गए। यहां हुई सभा को प्रदेशाध्यक्ष शिशुपाल सिंह पूनियां और रामस्वरूप चतुर्वेदी ने सम्बोधित किया। शिक्षक नेताओं ने अपने सम्बोधनों में अनिवार्य शिक्षा कानून को पूरी तरह लागू करने, छठे वेतन आयोग का लाभ पूरी तरह देने, सर्वशिक्षा अभियान से जुड़े शिक्षकों को वेतन दिलाने सहित कई लम्बित मांगों के अर्से से पूरा नहीं होने पर रोष प्रकट किया।

प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशकों की अनुपस्थिति में प्रारम्भिक शिक्षा के अतिरिक्त निदेशक मांगीलाल खींची ने प्रदर्शनकारियों से आकर बातचीत की। उन्होंने निदेशालय स्तर की मांगों का समाधान निदेशालय में करने और शेष मुद्दों को राज्य सरकार को भेजने का आश्वासन दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारी लौट गए।

शिक्षक संघ शेखावत ने 53 सूत्री मांगपत्र सौंपा है। तेरह आर्थिक मांगों में कृष्णा भटनागर समिति की सिफारिशों को शीघ्र लागू करने और शिक्षकों के वेतन के विभिन्न मदों में एकमुश्त बजट जारी करने की मांग की है। अठ्ठाइस प्रशासनिक मांगों में नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा कानून को लागू करने, शिक्षकों के रिक्त पद भरने और पदोन्नति जैसी मांगें शामिल हैं। इसके अलावा संस्कृत शिक्षा और सर्वशिक्षा अभियान से जुड़ी मांगें भी मांगपत्र के जरिए पेश की गई हैं(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,26.11.2010)।

राजस्थान यूनिवर्सिटी:चाहिए रुपया, मिली चवन्नी
राजस्थान यूनिवर्सिटी की सालाना ग्रांट 9 करोड़ रुपए बढ़ने के बाद भी वित्तीय संकट दूर होने के आसार कम हैं। यूनिवर्सिटी का अधिकारी वर्ग इस बात को स्वीकार कर रहा है कि हर बार की तरह वित्तीय संकट का बोझ विद्यार्थियों की फीस बढ़ाकर ही कम किया जाएगा। इस सत्र में पहले ही दस प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है।

यूनिवर्सिटी के वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में 86 करोड़ रुपए का घाटा झेल रही यूनिवर्सिटी को यह ग्रांट मिलने के बाद भी 77 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है।

सरकार की ओर से 40 करोड़ रुपए की ब्लॉक ग्रांट प्रदान की जा रही है, जिसे अब 49 करोड़ रु. किया है। सरकार की ओर से जो अनुदान मिलेगा, वह शिक्षकों के वेतनमद का है।

इसके बदले में यूनिवर्सिटी को विद्यार्थियों से लिए जाने वाले परीक्षा शुल्क, विकास शुल्क और कॉलेजों से ली जाने वाली पैनल्टी में से कुछ राशि प्रदान करनी होगी।

राज्य शासित विश्वविद्यालयों की समस्या के समाधान के लिए दिवगंत राज्यपाल प्रभा राव ने एक कोर कमेटी का गठन किया था, जिसका अध्यक्ष राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.एडी सावंत को बनाया गया।

कमेटी में राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सिफारिश की थी कि राज्य सरकार द्वारा मिलने वाली ग्रांट अगर 40 करोड़ रुपए सालाना से बढ़ाकर 80 करोड़ रुपए कर दी जाती है तो वित्तीय संकट पर लगाम लगेगी।

विकास मद से वेतन
यूनिवर्सिटी में हर महीने 4.5 करोड़ रु. वेतन और पेंशन में बांटे जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी एफडी तुड़वाकर वेतन, पेंशन दे रही है। छात्रों की फीस से बना फंड विकास कार्यो पर खर्च होना था।

जुलाई में ही 29 करोड़ की एफडी तुड़वाई गई। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक, सरकार चाहती है कि सेल्फ फाइनेंस स्कीम में चल रहे कोर्स और अन्य संसाधनों से आय अर्जित कर काम चलाएं, व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं है।

"अनुदान वृद्धि करके राज्य सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है। उम्मीद है कि सरकार और ग्रांट बढ़ा दे ताकि यूनिवर्सिटी और अच्छे तरीके से चल सके।"

प्रो.एडी सावंत, कुलपति(दैनिक भास्कर,जयपुर,26.11.2010)

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