स्वास्थ्य मंत्रालय इस कोशिश में लग गया है कि मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए देशभर में एक ही परीक्षा ली जाए ताकि शिक्षा का स्तर समान रहे। परीक्षा पटैर्न का केंद्रीकरण कर एक सिस्टम लागू कर दिया जाए। हालांकि यह योजना अभी प्रारंभिक अवस्था में है।
बदलाव पर हो रहा विचार: स्वास्थ्य मंत्रालय का राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. पी.सी. सैनी ने शनिवार को पत्रकारों से रूबरू हुए। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड डीएनबी के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। एमडी और एमएस के लिए राज्य व राष्ट्र स्तर पर अलग-अलग परीक्षाएं आयोजित की जाती है। डॉ. मैनी ने बताया कि परीक्षा पैटर्न में बदलाव को लेकर विचार चल रहा है। इसके लिए दिल्ली में पांच बार बैठकें भी हो चुकी है। उन्होंने एमडी, एमएस परीक्षाओं के लिए भी एक ही परीक्षाएं आयोजित किए जाने के प्रस्ताव के बारे में बताया। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड और एमडी, एमएस के लिए अलग परीक्षाएं नहीं होना चाहिए बल्कि एक ही परीक्षा ली जाना चाहिए। उसकी मेरिट के आधार छात्रों को प्रवेश मिलना चाहिए।
गांव के मरीज भी इंसान है: केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल के लिए साढ़े तीन साल का पाठ्यक्रम लागू करने पर विचार कर रहा है। डॉ. मैनी का मानना है कि गांव के मरीज भी इंसान होते है। उन्हें भी इलाज का समान अधिकार है। अगर सरकार गांव के मरीजों के लिए साढ़े तीन साल का कोर्स लागू करती है तो ग्रामीण डॉक्टरों के लिए अलग से स्पेशल कोर्स भी चलाना चाहिए। ताकि ये डॉक्टर खुद को पिछड़ा न समझे और मैनस्ट्रीम में आ सके(नीता सिसोदिया,दैनिक भास्कर,इन्दौर,27.11.2010)।
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