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26 नवंबर 2010

जम्मू-कश्मीरःबीएसएफ की भर्ती में शामिल हुए दो हज़ार

मानवाधिकारों की झंडाबरदार अरुंधति राय अगर वीरवार को यहां होतीं तो कश्मीरी नौजवानों की असलियत जान जातीं। वह यहां के नौजवानों के हाथों में बंदूक का मकसद भी समझ जातीं। यह सच है कि यहां के नौजवान बंदूक उठाना चाहते हैं, लेकिन मासूमों का खून बहाने के लिए नहीं बल्कि कश्मीर सहित देश के किसी भी हिस्से में जेहाद व आजादी के नाम पर खून बहाने वालों के खिलाफ। मुश्ताक अहमद आज उन सैकड़ों नौजवानों में शामिल था, जिनकी लगभग एक किलोमीटर लंबी कतार बीएसएफ के एसटीसी गेट पर लगी हुई थी। ये सभी लोग आज से शुरू हुए भर्ती अभियान में अपनी किस्मत आजमाने आए हुए हैं। बीएसएफ ने कश्मीरी अवाम के आग्रह पर ही एक विशेष भर्ती अभियान शुरू किया है, जो 30 नवंबर को संपन्न होगा। कड़ाके की ठंड के बावजूद बीएसएफ में भर्ती के इच्छुक दो हजार से अधिक युवक सुबह सवेरे आवेदनपत्र हासिल करने और भर्ती के लिए अपना नाम दर्ज कराने पहुंचे थे। इनमें श्रीनगर शहर और उसके नजदीकी क्षेत्रों के युवक ही थे। किसी के चेहरे पर सुरक्षाबलों से दूर रहने के आतंकी फरमान और सुरक्षाबलों में भर्ती होने वाले को अलगाववादियों द्वारा कौम का गद्दार करार देने का कोई खौफ नहीं था। श्रीनगर के सौरा इलाके के रहने वाले मुश्ताक ने बताया कि मैं ग्रेजुएशन कर चुका हूं और अमन के साथ सम्मानजनक जिंदगी जीना चाहता हूं। मुझे सरहद पर तैनात कर दिया जाए या फिर किसी एंटी मिलिटेंसी आपरेशन में या फिर पूर्वाेत्तर में, मैं हर जगह अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हूं। पिछले दिनों एक होटल में सेमिनार हुआ था। वहां दिल्ली से अरुंधति मैडम आई थीं। उन्होंने कहा था कि कश्मीर के लोगों को एक साजिश के तहत सुरक्षाबलों में भर्ती किया जा रहा है, लेकिन उन्हें यहां की असलियत नहीं पता है। उन्होंने सिर्फ वही तस्वीर देखा है, जो उनके चहेतों ने दिखाया है। मुश्ताक के पास खडे़ हारवन निवासी शेर मोहम्मद ने बताया कि ज्यादतियां तो यहां जेहाद के नाम पर मुजाहिद भी करते हैं, लेकिन उनके बारे में आप क्यों बात नहीं करते। आजादी और जेहाद के नारों ने हमारी जिंदगी को दोजख बना दिया है(नवीन नवाज,दैनिक जागरण,हुमहामा,26.11.2010)।

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