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30 नवंबर 2010

छत्तीसगढ़ःन्यायिक अधिकारी रिटायरमेंट की जगह से नहीं कर सकेंगे प्रैक्टिस

बार कौंसिल आफ इंडिया ने अदालतों में प्रैक्टिस करने संबंधी नियम में महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इसके अनुसार अब जिला न्यायालय, फोरम, ट्रिब्यूनल के जज, प्रशासनिक कोर्ट के न्यायिक अधिकारी जहां से रिटायर होंगे, उस स्तर की अदालतों और वहां की अधीनस्थ अदालतों में भी प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे।

अभी यह बंदिश न होने से रिटायर होने वाले जज और न्यायिक अफसर उन्हीं या उसी स्तर की अन्य अदालतों में वकील के तौर पर शामिल हो जाते हैं, जहां वे पहले पदस्थ रहकर न्यायिक आदेश या फैसले कर चुके हैं।

न्यायिक गुणवत्ता में सुधार के लिए बार कौंसिल आफ इंडिया ने अधिनियम के अनुच्छेद 49 (1) (एएच) के नियम-7 में संशोधन किया है।

इसके अनुसार ज्यूडीशियल, प्रशासनिक न्यायालयों, न्यायाधिकरणों, फोरम, अथारिटी में कार्यरत जज व प्रशासनिक अफसर रिटायर होने के बाद अगर वकील के तौर पर रजिस्टर्ड होने के बाद प्रैक्टिस शुरू करते हैं, तो उन्हें उन अदालतों, न्यायाधिकरणों में प्रैक्टिस की अनुमति नहीं होगी, जहां से वे रिटायर हुए हैं। 


सभी अदालतों, कलेक्टरों को पत्र 
स्टेट बार कौंसिल ने सभी अदालतों और कलेक्टरों को पत्र लिखा है। बार कौंसिल अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने इस नियम संशोधन का उल्लेख करते हुए उन्हें सभी अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारियों को इसकी जानकारी देने को कहा है। 

क्यों किया ऐसा
जिस कोर्ट में कोई जज या न्यायिक अधिकारी कार्यरत रह चुका है, रिटायरमेंट के बाद वहां प्रैक्टिस करने पर उसे पूर्व की अपनी पोजीशन व प्रभाव का लाभ मिल सकता है। इससे न्याय की गुणवत्ता प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता। 

मामला सुप्रीम कोर्ट में भी 
बार कौंसिल आफ इंडिया द्वारा एक्ट में किए गए संशोधन को चेन्नई सहित तीन-चार हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई है। इस पर बार कौंसिल आफ इंडिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सभी याचिकाओं की एक साथ सुप्रीम कोर्ट में ही सुनवाई करने की मांग की। 

जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को हाईकोर्ट से बुलवाकर एक साथ सुनवाई शुरू की है। हालांकि अब तक किसी हाईकोर्ट ने याचिका पर इस एक्ट को स्टे नहीं किया है।

"हाईकोर्ट के लिए प्रैक्टिस नियम के अनुसार वहां से रिटायर जज सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं, किसी भी हाईकोर्ट में नहीं। जिला, तहसील स्तर के न्यायालयों, सिविल कोर्ट में यह व्यवस्था नहीं है। 

रिटायर जज या न्यायिक अधिकारी के वहीं प्रैक्टिस करने से फैसले की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। इसके मद्देनजर बार कौंसिल आफ इंडिया ने यह नियम बनाकर ठीक किया है।"(राजीव द्विवेदी,दैनिक भास्कर,बिलासपुर,30.11.2010) 

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