दूसरों को सदाचार का पाठ पढ़ाते-पढ़ाते गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि की परीक्षा शाखा के अधिकारी खुद ही सदाचार भूल गए हैं। विवि की गोपनीय शाखाओं कंडक्ट, सीक्रेसी, रिजल्ट व इडीपी में कार्यरत लोग खुद और उनके बच्चे विवि से डिग्रियां हासिल कर रहे हैं। जिन शिक्षकों व कर्मचारियों की डयूटी परीक्षा लेने, प्रश्न पत्र बनाने या उत्तर पुस्तिका चेक करने के लिए लगाई जाती है उनसे पहले यह पूछा जाता है कि उनका कोई रिश्तेदार, बेटा या बेटी परीक्षा तो नहीं दे रहा है। अगर ऐसा होता है तो उसकी डयूटी वहां से हटा दी जाती है। गुरु जंभेश्र्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि में ऐसा नहीं है। विवि के रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक के पद से हाल ही में कार्यमुक्त हुए प्रो.आरएस जागलान के पुत्र विवि से दूरवर्ती शिक्षा के माध्यम से एमबीए कर रहे हंै। असिस्टेंट रजिस्ट्रार हरनाम सिंह की बेटी विवि से ही बी फार्मा की डिग्री तो कर चुकी हैं और एमएससी नैनो साइंस कर रही हैं। स्वयं हरनाम सिंह ने भी विवि से ही एमबीए किया है। सिंह दो साल से सीक्रेसी व रिजल्ट ब्रांच का कार्यभार देख रहे हैं। इसी प्रकार रजिस्ट्रार के पीए सतबीर दलाल स्वयं एमबीए विभाग से पीएचडी कर चुके हैं तथा उनका बेटा इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन से बीटेक कर रहा है। दलाल उस पद पर बैठे हैं जहां से विवि व परीक्षा शाखा का हर गोपनीय दस्तावेज गुजरता है। इसी प्रकार शाखा के अन्य अधिकारी रवि पांडेय की पुत्री बैचलर आफ फिजियोथेरेपी का डिग्री तो कर चुकी है तथा वर्तमान में मास्टर फिजियो थेरेपी की डिग्री कर रही है। सीक्रेसी ब्रांच के ही असिस्टेंट प्रमिन्द्र कटारिया ने भी विवि से रेगूलर एमबीए किया है और पिछले तीन-चार सालों से इसी शाखा में कार्यरत है। रिजल्ट ब्रांच की एक अन्य अधिकारी मंजू का बेटा भी विवि में ही बीटेक व उनकी भांजी बायोमेडिकल से बीटेक कर रही है। कंडक्ट ब्रांच के एक अन्य क्लर्क सुभाष का बेटा प्रिंटिंग टेक्नोलाजी से बीटेक कर रहा है। सदाचार के नाते उन अधिकारियोंको इस गोपनीय शाखा में तैनात नहीं करना चाहिए जिनके बच्चे या वह स्वयं नियमित या दूरवर्ती शिक्षा के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हो। इस संबंध में विवि के रजिस्ट्रार एवं पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. आरएस जागलान का कहना है कि गोपनीय शाखाओं में तैनात अधिकारियों या कर्मचारियों के बच्चे जिन कक्षाओं में पढ़ते हैं उन कक्षाओं का चार्ज उन्हें न देकर किसी अन्य अधिकारियों को दे दिया जाता है, लेकिन पिछले दो सालों में ऐसे कितने अधिकारियों से कितनी बार चार्ज लेकर दूसरे अधिकारियों को दिया गया, इस सवाल का उत्तर वह नहीं दे पाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि ऐसे अधिकारी या कर्मचारी को गोपनीय शाखा से किसी अन्य शाखा में भेजा गया हो(संजय योगी,दैनिक जागरण,हिसार,28.11.2010)।
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