देश के सभी विश्वविद्यालय और कॉलेज इंटरनेट, वीपीएन व दूसरी तकनीकी सुविधाओं से अभी पूरी तरह भले न लैस हो सके हों, लेकिन उच्च शिक्षा में सूचना संचार एवं तकनीक का (आईसीटी) असर दिखाई देने लगा है। केंद्र सरकार की पहल के बाद सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में इंटरनेट सुविधा पहंुच चुकी है और आगामी दिसंबर महीने के अंत तक 419 विश्वविद्यालय भी इंटरनेट की सुविधा से लैस होंगे। सूत्रों के मुताबिक बीते साल फरवरी में शुरू हुए राष्ट्रीय सूचना संचार तकनीक शिक्षा मिशन का असर उच्च शिक्षा में दिखने लगा है। उस समय सभी 419 विश्वविद्यालयों को इंटरनेट व वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) जैसी अन्य तकनीकी सुविधाओं से जोड़ने के लिए यह मिशन शुरू किया गया है। अब तक उनमें से 107 विश्वविद्यालयों को बीएसएनएल के जरिए इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है, जिसकी रफ्तार एक जीबीपीएस (गीगाबाइट पर सेकंड) है। बताते हैं कि इन 107 विश्वविद्यालयों में ज्यादातर राज्यों के विश्वविद्यालय व डीम्ड विश्वविद्यालय भी हैं। जबकि इस साल दिसंबर अंत तक सभी 419 विश्वविद्यालयों को इंटरनेट से जोड़ दिया जाएगा। हालांकि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़कर अब पांच सौ से अधिक तक पहुंच गई है। गौरतलब है कि मिशन के तहत आईसीटी के उपयोग में आने वाले खर्च का एक चौथाई भार विश्वविद्यालयों को उठाना है, जबकि बाकी का खर्च केंद्र सरकार उठा रही है। उसमें भी विश्वविद्यालयों को सारे खर्च का भुगतान एक बार में नहीं करना है। वह उसका दस साल तक की अवधि में किस्तों में भुगतान कर सकते हैं। मोटे तौर पर इस पर 45 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस बीच नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) भी कुछ आईआईटी व अन्य शैक्षिक संस्थानों को मिलाकर लगभग 50 संस्थानों को इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करा चुका है। बताते हैं कि सरकार का मकसद फिलहाल इतना है कि किसी भी तरह सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में सूचना व संचार तकनीक का बेहतर इस्तेमाल हो और फिलहाल इसकी शुरुआत हो चुकी है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,4.11.2010)।
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