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04 नवंबर 2010

राष्ट्रमंडल खेल परियोजना से जुड़े अधिकारियों के तबादलों पर रोक

गेम्स से जुड़ी परियोजनाओं के अधिकारियों और इंजीनियरों का दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) फिलहाल तबादला नहीं करेगा। खेलों के दौरान बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार की जांच कर रहीं सरकारी एजेंसियों से सहयोग करने के लिए डीडीए ने यह कदम उठाया है।

डीडीए सूत्रों का कहना है कि इन परियोजनाओं से जुड़े अधिकारियों और इंजीनियरों का अन्य विभाग में तबादला करने पर रोक लगा दी गई है। चूंकि, शूंगलू कमेटी को अपनी जांच रिपोर्ट तीन महीने में सरकार को सौंपनी है, इसलिए इस दौरान जांच में किसी तरह की बाधा से बचने के लिए डीडीए ने यह कदम उठाया है।

जानकारी के अनुसार खेलों के तत्काल बाद खेलगांव के चीफ इंजीनियर एनएल सिंह अपने पूर्व विभाग सीपीडब्ल्यूडी में वापस जाने वाले थे। खेलों से पहले सिंह की देखरेख में खेलगांव के अलावा सीरी फोर्ट स्टेडियम और यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स को तैयार किया गया था।

जबकि, वसंत कुंज परियोजना में हो रही देरी को देखते हुए डीडीए के वित्तीय सदस्य नंदलाल ने स्वयं कमान संभाली थी। फिलहाल, एनएल सिंह के पूर्व विभाग में जाने पर दिसंबर तक रोक लगा दी गई है। इसके अलावा, कॉमनवेल्थ गेम्स कमिश्नर वीना ईश के भी वापस जाने पर भी फिलहाल ब्रेक लग गया है।

इस मामले में डीडीए की जनसंपर्क आयुक्त नीमोधर ने डीडीए उपाध्यक्ष अशोक निगम द्वारा किसी तरह के पत्र जारी करने की बात से इनकार कर दिया है और कहा है कि वीना ईश का कार्यकाल दिसंबर तक है, लेकिन एनएल सिंह के मामले में उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।

ज्ञात हो कि कॉमनवेल्थ गेम्स की परियोजनाओं में सर्वाधिक विवादास्पद और आलोचनाओं का शिकार यमुना किनारे निर्मित खेलगांव परियोजना रही है। इस परियोजना के निर्माण में हुई देरी और नियमों को ताक पर रख कर निर्धारित संख्या से ज्यादा फ्लैट्स का निर्माण तथा खेलगांव के अंदर पाई गई अनेक खामियों की वजह से डीडीए की काफी किरकिरी हुई थी।

इसके चलते इस मामले में डीडीए ने अपना पल्ला झाड़ते हुए खेलगांव का निर्माण करने वाली एमजीएफ-एम्मार कंपनी को दोषी ठहराया था। इस मामले में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने डीडीए को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

खेलगांव के निर्माण में लगभग 321 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके अलावा, खेलगांव में अस्थाई निर्माण के लिए भी कई करोड़ रुपए पानी की तरह बहाए गए। इन्हीं कारणों से जांच एजेंसियों के सर्वाधिक निशाने पर खेलगांव ही है। इसके अलावा, वसंत कुंज इलाके में डीडीए द्वारा निर्मित किए जा रहे लगभग साढ़े तीन हजार फ्लैट्स की भी जांच की जा रही हैं।

बताते चलें कि खेलों के दौरान पूरी तरह से परियोजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका था और परियोजना की अधूरी तैयारी की वजह से आयोजन समिति ने अपने टेक्निकल स्टाफ के लिए डीडीए से 1600 कमरों की मांग की थी, लेकिन यह मांग भी पूरी नहीं हो पाई और अनेक कर्मचारियों ने वसंत कुंज फ्लैट्स के बदले होटलों में ठहरना ही बेहतर समझा।

इनके अलावा, सीरी फोर्ट स्टेडियम और यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के निर्माण पर भी उंगली उठाई गई थी, क्योंकि पिछले दिनों बारिश की वजह से इन कॉम्पलेक्स की छत की सीलिंग गिर गई थी(बलिराम सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,4.11.2010)।

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