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20 नवंबर 2010

अब स्कूलों में नहीं होंगे वन्य प्राणियों पर प्रयोग

सीबीएसई स्कूलों की विज्ञान प्रयोगशालाओं में दुर्लभ वन्य प्राणियों पर होने वाले प्रयोग प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। केंद्रीय वन मंत्रालय के निर्देश पर सीबीएसई बोर्ड ने अपने सभी क्षेत्रीय केंद्र निदेशकों को परिपत्र भेजकर प्रयोगशालाओं में वन्य प्राणियों पर होने वाले प्रयोग बंद करने के निर्देश दिए हैं। क्षेत्रीय निदेशकों ने इस बारे में सभी स्कूल प्रधानाचार्यो को भी अवगत करा दिया है। केंद्रीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड के निदेशक (एजूसेट) शशि भूषण ने सीबीएसई स्कूलों की विज्ञान प्रयोगशालाओं में वन्य प्राणियों पर होनेवाले शोध कार्यो पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी किया है। इस रोक के बाद जंतु विज्ञान के शिक्षकों और विद्यार्थियों के सामने बड़ी समस्या यह खड़ी हो गई है कि अब उन्हें मौखिक जानकारी से ही काम चलाना पड़ेगा। बोर्ड की ओर से इस बारे में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं कि विज्ञान प्रयोगशालाओं में अब प्रायोगिक कार्य किस तरह से किया जाए। जंतु विज्ञान के शिक्षकों की मानें तो अब मेडिकल की उच्चस्तरीय पढ़ाई के दौरान ही विद्यार्थियों को प्रायोगिक कार्य करने को मिल पाएगा। वन विभाग के महानिदेशक को सीबीएसई स्कूलों की विज्ञान प्रयोगशालाओं में अवैध रूप से दुर्लभ वन्य प्राणियों पर होने वाले शोध कार्य पर आपत्ति थी। महानिदेशक ने वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972 का हवाला देते हुए सीबीएसई बोर्ड को यह कार्य रोकने के निर्देश दिए। महानिदेशक ने बोर्ड से कहा कि प्रयोगशालाओं में वन्य प्राणियों पर प्रयोग करना तो दूर की बात, उन्हें अपने पास रखना भी संज्ञेय अपराध है। वन महानिदेशक को सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों के साथ-साथ विभिन्न सरकारी स्कूलों की प्रयोगशालाओं में भी वन्य प्राणियों पर शोध किए जाने की शिकायतें मिली थीं, लेकिन अधिकतर सरकारी स्कूलों में इस तरह की समस्या पर काबू पा लिया गया है। सीबीएसई स्कूलों में जब प्रयोग जारी रहे तो वन महानिदेशक को हस्तक्षेप करना पड़ा है। सीबीएसई बोर्ड के निदेशक (एजूसेट) शशि भूषण ने सरकुलर जारी कर कहा कि स्कूल की विज्ञान प्रयोगशालाओं में अब दुर्लभ वन्य प्राणियों पर कोई प्रयोग नहीं होगा। जंगली व सामान्य कबूतर, खरगोश, सफेद चूहा, हिरण और मेंढक समेत करीब एक दर्जन वन्य प्राणी दुर्लभ श्रेणी की सूची में शामिल बताए जाते हैं। शशि भूषण ने क्षेत्रीय निदेशकों के माध्यम से प्रधानाचार्यो से अनुरोध किया है कि वे दुर्लभ वन्य प्राणियों को नहीं रखें। यदि ऐसे वन्य प्राणी प्रयोगशाला या स्कूल में हैं तो उन्हें जंगल में छोड़ दें।(अनुराग अग्रवाल,दैनिक जागरण,चंडीगढ़,20.11.2010)।

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