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19 नवंबर 2010

एम्स में प्रमोशन नियमों की अनदेखी

एम्स में एक बार फिर नियमों की अनदेखी हुई है। इस बार मामला 164 सहायक प्रोफेसरों की प्रमोशन का है। इनकी प्रमोशन प्रक्रिया को गैरकानूनी बताते हुए एम्स इंस्टिट्यूट बॉडी की सदस्य डॉ. ज्योति मृधा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और लोक सभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है।

डॉ. मृधा ने लिखा है कि एम्स प्रशासन ने 1995 से 2000 के बीच नियमों को ताक पर रखकर अस्थायी तौर पर 150 सहायक प्रोफेसरों को नियुक्त किया। नियुक्तियों में एससी, एसटी और ओबीसी के रिजर्वेशन के नियमों की भी अनदेखी की गई। इन अस्थायी सहायक प्रोफेसरों ने 2001 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर स्थायी करने की अपील की थी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, बावजूद इसके एम्स प्रशासन ने 2003 में करीब सभी सहायक प्रोफेसरों को स्थायी कर दिया। कई लोगों द्वारा इसके खिलाफ आवाज उठाने के बाद करण सिंह यादव की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया, जिसने पूरी प्रक्रिया को गलत ठहराया।

इसके बाद कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई, जिसके जवाब में एम्स इंस्टिट्यूट बॉडी और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स प्रशासन की गलती स्वीकार की थी। इस मामले में अभी भी कोर्ट ने आखिरी फैसला नहीं सुनाया है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,19.11.2010)।

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