इंदौर सहित प्रदेश के कई जिलों में शैक्षणिक योजनाओं पर कितना अमल होता है, इसका खुलासा राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) की ग्रेडिंग में हुआ है। इस साल 1 अप्रैल से 30 सितंबर के बीच कार्ययोजना के अमल में इंदौर को ‘सी’ ग्रेड मिली है। और तो और, प्रदेश का एक भी जिला एक्सीलेंट ग्रेड में शामिल नहीं हुआ है, वहीं ‘ए’ ग्रेड में मात्र सागर का नाम है।
आरएसके की इस ग्रेडिंग से विभागीय अधिकारियों की मॉनीटरिंग और लगातार होने वाली बैठकों की भी पोल खुल गई है। इस ग्रेडिंग में 15 से ज्यादा बिंदु शामिल हैं। इंदौर जिन मामलों में पिछड़ा है, उनमें सत्र 2010-11 में शुरू होने वाले विकास कार्य है। इंदौर जिला इस श्रेणी में एक भी अंक हासिल नहीं कर पाया है। पिछले सालों के निर्माण कार्य, छात्रवृत्ति वितरण और अधिकारियों के मैदानी निरीक्षण में भी इंदौर पीछे है। हां, उसने गणवेश और साइकिल वितरण में लक्ष्य जरूर हासिल कर लिया है।
इन बिंदुओं पर हुआ आकलन
सिविल वर्क, पोर्टल डाटा इंट्री, समय पर वेतन, ई-सर्विस बुक, दक्षता संवर्धन, मासिक टेस्ट, बालक-बालिका छात्रावास, गणवेश-साइकिल व छात्रवृत्ति वितरण सहित अन्य विषय।
फायदे और नुकसान
ए ग्रेड में शामिल होने पर सागर को नई योजनाओं के लिए समय-समय पर पैसा मिलेगा। वहीं इंदौर सहित अन्य जिलों पर दोहरा दवाब होगा। उन्हें पुराने लक्ष्य भी प्राप्त करना होगा।
दो माह में बदल देंगे परिणाम
यह सितंबर की ग्रेडिंग है, तब मैं यहां नहीं था। हर माह की ग्रेडिंग से कई बातें सामने आई हैं। इसको लेकर निश्चित ही अभी हम पीछे हैं। हालांकि हम इसे अगले दो माह में सुधार देंगे।
मदनकुमार त्रिपाठी, जिला परियोजना समन्वयक(हरिनारायण शर्मा,दैनिक भास्कर,इन्दौर,9.11.2010)
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